Man on Moon: चाँद पर इंसानी कदम के 51 साल: अपोलो मिशन की 3 अनसुनी दास्तां

साइंस
कुमार अंकित
कुमार अंकित | सीनियर असिस्टेंट प्रोड्यूसर
Updated Jul 21, 2020 | 10:10 IST

Man on Moon: चांद पर पहला कदम रखने वाले आर्मस्ट्रॉन्ग ने रेडियो के जरिए हुई बातचीत के दौरान कहा था कि इंसानियत के लिए ये एक बहुत छोटा कदम है पर मानव जाति के लिए यह एक बड़ी छलांग साबित होगा।

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चांद पर इंसान के पहले कदम की दास्तां  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर कदम रखकर इतिहास रचा था
  • आज से ठीक 51 साल पहले आज ही के दिन इंसान ने पहली बार चांद पर पहला कदम रखा था
  • इस मिशन की ट्रेनिंग के दौरान नील आर्मस्ट्रॉन्ग बाल-बाल बचे थे

तारीख -21 जूलाई, 1969, समय 2 बजकर 56 मिनट. इस तारीख और समय को मानव इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। आज से ठीक 51 साल पहले आज ही के दिन इंसान ने पहली बार चांद पर पहला कदम रखा था। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर कदम रखकर इतिहास रचा था। चांद पर पहला कदम रखने वाले आर्मस्ट्रॉन्ग ने रेडियो के जरिए हुई बातचीत के दौरान कहा था कि इंसानियत के लिए ये एक बहुत छोटा कदम है पर मानव जाति के लिए यह एक बड़ी छलांग साबित होगा।

वैसे तो अपोलो 11 मिशन से जुडी़ हर छोटी-मोटी जानकारी हम सभी जानते हैं, जैसे कि इस मिशन की नींव जॉन एफ केनेडी ने रूस के अंतरिक्ष मिशन के बाद ही रख दी था, इस मिशन पर आर्मस्ट्रॉन्ग के साथ  बज़ आल्ड्रिन और माइक कॉलिंस भी गए थे, इसकी तैयारी में 7 से ज्यादा साल लगे थे और भी बहुत कुछ लेकिन आज हम आपको तीन ऐसी रोचक जानकारियाँ इस मिशन को लेकर देने वाले हैं जिसे बहुत कम लोग जानते हैं।

1. इस मिशन की ट्रेनिंग के दौरान नील आर्मस्ट्रॉन्ग बाल-बाल बचे थे। जी हाँ अपोलो 11 मिशन की ट्रेनिंग के दौरान का ये वाक़या है जब आर्मस्ट्रांग ने लैडिंग सिमुलेशन के दौरान लुनर लैंडिंग रिसर्च व्हीकल पर से अपना नियंत्रण खो दिया था जिसका नतीजा ये हुआ कि व्हीकल क्रैश कर गया।  लैंडिंग से ठीक 61 मीटर पहले आर्मस्ट्रांग ने पैराशूट खोलकर अपनी जान बचाई थी। हादसा इतना जबर्दस्त था कि लैंडिंग के कुछ सेंकेंड की भीतर ही रिसर्च व्हीकल जलकर खाक हो गया था।

2. अपोलो 11 मिशन के लिए अमेरिकी झंडे को खास तौर से कस्टमाइज़्ड किया गया था ताकि ऐसा लगे कि चांद पर भी अमेरिकी झंडा लहरा रहा है। इसके लिए झंडे में एल्युमिनियम रॉड डाला गया था और यही कारण है कि वायुहीन वातावरण में भी जो तस्वीरें सामने आईं थी उसमें अमेरिकी झंडा फहरता से दिखाई देता है।

3. वैसे तो इस खास मिशन को पुरा करने के लिए करीब 5 लाख वैज्ञानिकों ने जी-तोड़ मेहनत की थी, लेकिन इस मिशन में दो महिलाओं ने खास भुमिका निभाई थी. नासा की गणितज्ञ कैथरीन जॉनसन ने अपोलो 11 की ट्रैजेक्टरी को सटीक तरीके से कैलकुलेट किया था। कंप्यूटर वैज्ञानिक मार्गरेट हैमिल्टन ने गाइडेंस और नैविगेशन सिस्टम का पुरा जिम्मा संभाला था।  उन्होंने इस खास मिशन के लिए आनबोर्ड कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया था जिसकी मदद से एस्ट्रोनॉट्स यान को कंट्रोल करते थे।

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