वाशिंगटन: अमेरिका के वैज्ञानिकों ने पहली बार एक ऐसा रोबोट बनाया है जिसे जिंदा होने के श्रेणी में रखा जा सकता है। इन्हें एक्सनोबॉट (Xenobot) भी कहा जा रहा है। वैज्ञानिकों के एक समूह ने मेंढक भ्रूण की जीवित कोशिकाओं को अन्य नए जीवन-रूपों के तौर पर इस्तेमाल करने में सफलता पाई है, जिन्हें वह 'जीवित, प्रोग्राम करने लायक जीव' के तौर पर परिभाषित कर रहे हैं।
नवनिर्मित स्व-चिकित्सा प्राणी को 'एक्सनोबॉट्स' का नाम भी दिया जा रहा है। यह रोगी के शरीर के अंदर दवा ले जाने या इस तरह के अन्य काम समान कार्य करने में भी मदद कर सकते हैं। वर्मोंट यूनिवर्सिटी के एक कंप्यूटर वैज्ञानिक और रोबोटिक्स विशेषज्ञ जोशुआ बोंगार्ड कहते हैं, 'यह जीवित मशीनें हैं, जो नए शोध की दिशा में मदद कर सकते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि वह न तो पारंपरिक रोबोट हैं और न ही जानवरों की किसी प्रजाति का हिस्सा हैं। यह जीवित प्रोग्राम करने योग्य जीव हैं।'
टफ्ट्स में सेंटर फॉर रिजनरेटिव एंड डेवलपमेंटल बायोलॉजी का निर्देशन करने वाले माइकल लेविन का कहना है कि वह ऐसे प्राणियों को विकसित कर सकते हैं जिनका इस्तेमाल समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक को इकट्ठा करने के लिए किया जा सकता है, या फिर ये इंसानी नसों में जाकर इलाज में मदद कर सकते हैं। इस नए शोध के परिणाम 13 जनवरी को 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' में प्रकाशित हुए थे।
स्टील, कंक्रीट या प्लास्टिक के इस्तेमाल से कई तकनीकें विकसित की गई हैं जिससे मजबूत या लचीले उत्पाद बन सकते हैं। लेकिन यह चीजें प्रकृति और इंसानी सेहत दोनों के लिए समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं। महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते संकट, कई सिंथेटिक सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स की जहरीला प्रभाव इसके उदाहरण हैं। इन्हीं कारणों को देखते हुए नए तरह की तकनीक विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है।