Chandrayaan-3: चांद पर उतरने की दूसरी कोशिश में भारत, इसरो अगले साल भेज सकता है चंद्रयान-3

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Updated Nov 14, 2019 | 16:02 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Chandrayaan-3 moon landing: चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में विफलता के बाद भारत चंद्रयान-3 की तैयारी में है। इस बारे में जानकारी जल्‍द ही सामने आने की उम्‍मीद है।

 Chandrayaan-3: चांद पर उतरने की दूसरी कोशिश में भारत, इसरो अगले साल भेज सकता है चंद्रयान-3
Chandrayaan-3: इसरो अगले साल भेज सकता है चंद्रयान-3 (फाइल फोटो)  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • इसरो मिशन चंद्रयान-3 पर लगा है और इस दिशा में काम जारी है
  • चंद्रयान-3 को नवंबर 2020 तक लॉन्‍च किए जाने की संभावना है
  • इसे चंद्रयान-2 की गलतियों से सबक लेते हुए लॉन्‍च किया जाएगा

बेंगलुरु : चंद्रयान-2 के लैंडर की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में विफलता से भारत के हौसले पस्‍त नहीं हुए हैं, बल्कि वह विज्ञान के क्षेत्र में नित नए कदम की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसके तहत जल्‍द ही चंद्रयान-3 को चांद की ओर रवाना किया जा सकता है। इसरो सूत्रों के अनुसार, इसके लिए नवंबर 2020 की समय सीमा निर्धारित की गई है, जिस दौरान एक बार फिर से चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश होगी।

इसरो ने चंद्रयान-3 पर रिपोर्ट देने के लिए एक उच्‍च स्‍तरीय सम‍िति बनाई थी, जिसकी अक्टूबर से लेकर अब तक महत्‍वपूर्ण बैठकें हो चुकी हैं। हालांकि समिति की रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है, पर सूत्रों का कहना है कि समिति ने अगले साल के आखिर तक मिशन चंद्रयान-3 की तैयारियों को पूरा कर लेने के दिशा-निर्देश दिए हैं और इसके लिए नवंबर के समय को सही बताया गया है।

इसरो सूत्रों के अनुसार, चंद्रयान-3 के इस मिशन में केवल लैंडर और रोवर ही होगा। इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा, क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा की कक्षा में मौजूद है और वह काम कर रहा है। वैज्ञानिकों मानना है कि यह सात साल तक ठीकठाक ढंग से काम करता रहेगा। सूत्रों के अनुसार, चंद्रयान-3 में उन सभी खामियों को दूर किया जाएगा, जो चंद्रयान-2 में नजर आईं।

माना जा रहा है कि समिति ने अपनी रिपोर्ट अंतरिक्ष आयोग को सौंप दी है। इसे पीएमओ से अनुमोदन मिलने के बाद सार्वजनिक किए जाने की उम्‍मीद है। यहां उल्‍लेखनीय है कि इसरो ने 7 सितंबर को चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें विफलता हाथ लगी थी। हालांकि चंद्रयान-2 के साथ भेजा गया ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है।

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