ग्रहण मूल रुप से दो प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण। सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। इस दौरान चंद्रमा की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है। इसी अवस्था को सूर्य ग्रहण कहते हैं। जबकि चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और जिसके कारण चंद्रमा पर पृथ्वी की परछाई पड़ती है। इस परिस्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं।
सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं या तो ये पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है, आंशिक सूर्य ग्रहण या फिर वार्षिक सूर्य ग्रहण। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पूर्ण रुप से सूर्य को ढंक देता है जबकि वार्षिक सूर्य ग्रहण में, सूरज उन क्षेत्रों में आग की अंगूठी की तरह दिखाई देता है जिन्हें चंद्रमा ने ढक लिया होता है। चंद्रमा पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर होता है। 21 जून, 2020 को ऐसा ही सूर्यग्रहण होगा।
पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण या फिर वार्षिक सूर्य ग्रहण इन तीनों तत्वों (सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी) के बीच की दूरी पर निर्भर करता है। पृथ्वी सूर्य के चारों और चक्कर काटती है और चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर चक्कर काटती है ऐसे में इन तीनों की स्थिति में बदलाव होता रहता है तीनों के बीच की दूरी आपस में घटती बढ़ती रहती है।
जब सूर्य, पृथ्वी के करीब होता है और चंद्रमा इससे दूरी पर होता है ऐसे में चंद्रमा आसमान में सूर्य से काफी छोटा प्रतीत होता है। जब वार्षिक सूर्य ग्रहण होता है तब चंद्रमा इतना छोटा है कि वह सूर्य को पूरी तरह से ढंकने में नाकाम होता है ऐसे में आसमान में एक छल्ला बन जाता है।
चंद्र ग्रहण के केस में वार्षिक चंद्र ग्रहण नहीं होता है क्योंकि इसमें पृथ्वी, चंद्रमा से काफी बड़ी होती है और इसकी परछाई इतनी बड़ी नहीं होती है कि यह आसमान में एक छल्ला बना सके। जब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है तब चंद्रमा, पृथ्वी के द्वारा बनाई गई परछाई से गुजरता है जिसमें उसे 2 घंटे का समय लगता है। इस दौरान देखने से लगता है कि चंद्रमा पूरी तरह से डार्क नहीं होता है वह हल्का लाल रंग का होता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण पृथ्वी पर हर 18 महीने के बाद होता है। हालांकि खगोलीय घटना में सूर्य ग्रहण की संख्या चंद्र ग्रहण से ज्यादा होती है। उदाहरण के लिए पूर्ण और वार्षिक सूर्य ग्रहण हर पांच या छह महीने में होता है जबकि चंद्र ग्रहण प्रति वर्ष एक बार होता है वह भी पृथ्वी के कुछ चुनिंदा जगहों में ही दिखाई देता है। वहीं सूर्य ग्रहण पृथ्वी के कुछ हिस्से में कुछ तय समय के लिए दिखाई देता है।