नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया परेशान है। एक ऐसी बीमारी जिसका दुनिया अब तक इलाज नहीं ढूंढ पाई है। टीके पर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है लेकिन टीका कब तक बाजार में आएगा यह कहना भी बेहद मुश्किल है। कोरोना ने जिस तरह से तबाही मचाई है उससे पूरी दुनिया परेशान है और किसी के पास इसका कोई भी इलाज नहीं सूझ रहा है। आइए जानते है कि कोरोना आखिर किस तरह से मानव को संक्रमित कर मौत का कारण बन रह है।
कोरोना वायरस पीड़ित के शरीर में प्रवेश कर उसके फेफड़ों को संक्रमित कर देता है। यह फेफड़ों को सूजा देता है। इससे ऑक्सीजन की पाइप में अवरोध पैदा होता है और पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है। सांस लेने की पाइप में सूजन आ जाता है। कोरोना से लाखों लोग दुनिया भर में जंग जीत चुके हैं लेकिन जिसपर इस वायरस का अटैक होता है तो उस व्यक्ति के ठीक होने के कई कारण हो सकते है। लेकिन मूल रूप से यह बीमारी पीड़ित व्यक्ति की रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करती है और मौत का कारण बन जाती है।
कैसे करता है कोरोना वायरस अटैक?
कोरोनावायरस के एक बार बॉडी में प्रवेश करने पर यह एपिथिलियल कोशिकाओं (epithelial cells) को संक्रमित करना शुरू करता है। एपिथिलियल कोशिकाएं आपकी बॉडी की सतह जैसे स्किन, रक्त वाहिकाएं, यूरिनरी ट्रैक या अंगों से आती हैं। एपिथिलियल कोशिकाएं शरीर के भीतर और बाहरी भाग के बीच में एक अवरोधक का कार्य करती हैं। यह कोशिकाएं वायरस से रक्षा प्रदान करती हैं। यह कोशिकाएं फेफड़ों का अस्तर होती हैं। वायरस के रिसेप्टर से एक प्रोटीन एपिथिलियल कोशिकाओं से जुड़ने लगता है, जिससे यह वायरस इनमें प्रवेश करना शुरू करता है। इन कोशिकाओं में कोरोनावायरस अपनी प्रकृति बनाना (कॉपी) शुरू कर देता है। ऐसा जब तक जारी रहता है तब तक यह कोशिकाओं को मार नहीं देता। यह सबसे पहले ऊपरी श्वास नली (upper respiratory tract) में होता है, जिससे नाक, मुंह, लायनेक्स (larynx) और ब्रोंकाई जुड़े होते हैं। (लायनेक्स को वॉइस बॉक्स के नाम से जाना जाता है। यह एक अंग है, जो नाक के नीचे की तरफ गले में होता है। यह सांस लेने की प्रक्रिया में शामिल होता है। लायनेक्स तरह-तरह की ध्वनियां और आवाज निकालने में मदद करता है।
सांस की नली को वायरस करता है प्रभावित
यह भोजन को श्वास नली में जाने से रोकता है।) और ब्रोंकाई (bronchi) (फेफड़ों तक जाने वाली श्वास नली) जुड़े होते हैं। इससे मरीज को सूखी खांसी, सांस में कमी होना, बुखारत, सिर दर्द और मांसपेशियों में दर्द और थकावट का अहसास होने लगता है। यह लक्षण फ्लू के समान ही होते हैं। वायरस अपनी प्रकृति बनाते हुए विंडपाइप में नीचे की तरफ फेफड़ों में पहुंच जाता है। इससे सांस से जुड़ी और समस्याएं जैसे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया पैदा होते हैं। निमोनिया में लोगों को सांस लेने में समस्या आती है। इसमें खांसी भी होती है। यह फेफड़ों में मौजूद सूक्ष्म एयर साक (Air sacs), जिन्हें एल्विओली (Alveoli) कहा जाता है, इन्हें प्रभावित करता है।
इम्यून सिस्टम हो जाता है कमजोर
एल्विओली वह स्थान है, जहां पर ऑक्सीजन और कार्बनडाइऑक्साइड का आदान-प्रदान होता है।
कोरोना की वजह से निमोनिया होने पर एल्विओली की पतली परत एल्विओलर कोशिकाओं (alveolar cells) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस स्थिति में मानव शरीर प्रतिक्रिया देता है। बॉडी इम्यून कोशिकाओं को फेफड़ों तक भेजती है। यह प्रतिरोधी कोशिकाएं होती हैं, जो शरीर में किसी भी प्रकार के बाहरी पदार्थ से लड़ती हैं। एल्विओलर कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से एल्विओली की लाइनिंग सामान्य के मुकाबले मोटा होने लगता है। यह पूरे पूरे एयर पॉकेट (श्वास नली) को ब्लॉक कर देता है, जहां से आपके ब्लड के लिए ऑक्सीजन मिलती है। ब्लडस्ट्रीम में ऑक्सीजन की सप्लाई में बाधा आने पर प्रमुख अंग जैसे लिवर, किडनी और ब्रेन तक ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती है। इसकी वजह से मरीज की मौत हो जाती है।
देश में कोरोना से 2100 से ज्यादा लोगों की मौत
कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर से दुनियाभर में 293,226 लोगों की मौत हो चुकी हैं और 43 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। गौर हो कि कोरोना वायरस महामारी के कारण देश भर में अब तक 2,100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तथा 63 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। वैश्विक स्तर पर, इससे मरने वालों की संख्या 2.79 लाख से अधिक हो चुकी है और 40 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं।