चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय में मनुष्य के ऐसे गुणों के बारे में बताया गया है जो उसके पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर वर्तमान जन्म में तय होते हैं। चाणक्य का कहना है कि मनुष्य का वर्तमान पूर्व जन्म के आधार पर ही तय होता है। खास कर छह चीजों का निर्धारण पूर्व जन्म के कर्म से ही होता है।
चाणक्य की नीतियां हर काल में प्रासंगित रही हैं और इसके पीछे एक बड़ी वजह यह थी कि वह एक दूरदर्शी होने के साथ ही बेहद अनुभवी भी थे। अपनी नीतियों के बल पर ही उन्होंने नंदवंश की सारे चालें बेकार कर दीं और चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बना दिया था। तो आइए आज चाणक्य के अनुसार जाने कि वो कौन सी 6 चीजें हैं जो पूर्व जन्म से लेकर मनुष्य वर्तमान जन्म में आता है।
चाणक्य के अनुसार उन्हें मनुष्य को वर्तमान जन्म में भोजन मिलता है जो किस्मत के धनी होते हैं। पूर्व जन्म में जिसने भोजन का सम्मान किया हो, अन्न दान किया और अन्न की परित्याग कभी नहीं किया हो वही वर्तमान में भोजन पाने का अधिकारी बनता है। जिसको जितनी मुश्किल से भोजन मिलता है वह पूर्व जन्म में भोजन का उतना ही अनादर किया होता है। भोजन को पचाने की क्षमता उन्हीं में होती है जो पूर्व जन्म में अच्छे कर्म किए होते हैं।
दूसरी चीजें अचार्य ने कर्म संस्कार के बारे में बताया है। मनुष्य के पूर्व जन्म के कर्म उसके वर्तमान जन्म के कर्म यानी संस्कार निर्धारित करते हैं। पापी, निर्दयी और अधर्मी व्यक्ति वर्तमान जन्म में अपने पूर्व जन्म के कर्म को भोगता है। उसके संस्कार और कर्म उसे तिरस्कारी बनाते हैं। ऐसे मनुष्य समाज में कभी सम्मान नहीं पाते।
तीसरी चीज चाणक्य ने जीवनसाथी के संबंध में बातई हैं। उनके अनुसार वर्तमान में जीवनसाथी उसकी को मन लायक मिलता है जो पूर्व जन्म में अपने जीवनसाथी के साथ बेहतर संबंध रखा हो। जीवनसाथी का जिसने सम्मान किया हो और कद्र की हो उसे वर्तमान जन्म में सुंदर और गुणवान जीवनसाथी प्राप्त होता है।
चौथी चीज चाणक्य ने व्यक्ति के काम के बारे में बातई हैं। उनका कहना था कि यदि मनुष्य अपने काम को खुद पर हावी करता है तो वह बर्बादी की ओर जाता है। वर्तमान जन्म में काम के वश में वही आता है जो पूर्व जन्म में काम के महत्व को न समझा हो।
पांचवी चीज चाणक्य ने धन के संबंध में बताई हैं। उनका कहना है धन कमाने से ज्यादा कठिन उस धन को बचाना होता है। पूर्व जन्म में जिसने धन की बेकद्री की हो या अनयास ही लुटाया हो वह इस जन्म में धन की दिक्कत से जूझता है वहीं, जिसने धन का संचय करना जान लिया हो वह पूर्वजन्म के कर्म के कारण ही ऐसा कर पाता है।
छठवी चीज दान के संबंध में चाणक्य ने बताया है। उनके अनुसार दानी स्वभाव वर्तमान में उन्हीं का होता है जो पूर्व जन्म में भी दान-पुण्य से जुड़े थे। दान हर कोई नहीं देता भले ही उसके पास कितना भी कुछ क्यों न हो। दान देने की प्रवृत्ति मनुष्य को पूर्व जन्म से ही मिलती है।
चाणक्य के अनुसार ये 6 आदते मनुष्य के पूर्व जन्म से जुड़ी होती हैं, हालांकि वर्तमान जन्म में पूर्व जन्म के बुरे कर्म को सुधारा जा सकता है।
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