Ashadha Amavasya 2022: क्या है आषाढ़ अमावस्या का महत्व, इस दिन ये शुभ काम करने से जीवन में आती है खुशहाली

Ashadha Amavasya Date 2022: आषाढ़ महीने में पड़ने वाली अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है। पितरों के लिए यह दिन बेहद खास माना जाता है। जानते हैं इस बार कब पड़ेगी आषाढ़ अमावस्या।

Amavasya
आषाढ़ अमावस्या  
मुख्य बातें
  • आषाढ़ अमावस्या पर जरूर करें पितरों का तर्पण
  • किसानों के लिए खास है आषाढ़ अमावस्या
  • आषाढ़ अमावस्या को कहा जाता है हलहारिणी अमावस्या

Significance Of Ashadha Amavasya 2022: पूजा-पाठ व स्नान दान के लिए अमावस्या का दिन बेहद शुभ माना जाता है। वैसे तो हर माह अमावस्या तिथि पड़ती है। लेकिन आषाढ़ माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि पूजा-पाठ, स्नान-दान और पितरो की पूजा के साथ ही किसानों के लिए भी खास दिन माना जाता है। किसान इस अमावस्या पर हल और खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। इसलिए इसे हलहारिणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस बार आषाढ़ माह की अमावस्या मंगलवार 28 जून पड़ रही है। जानते हैं आषाढ़ अमावस्या का महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में।

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आषाढ़ अमावस्या मुहूर्त

अमावस्या तिथि आरंभ: 28 जून, सुबह 05:53 मिनट से

अमावस्या तिथि समाप्त: 29 जून, सुबह 08:23 मिनट तक

आषाढ़ अमावस्या पर करें ये शुभ काम

  • पूर्णिमा की तरह की अमावस्या में भी स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। इसलिए आषाढ़ अमावस्या के दिन जल्दी उठें और किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
  • अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है। इसलिए इस स्नान उनका तर्पण करना चाहिए। स्नान के बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण जरूर करें।
  • आषाढ़ अमावस्या पर यज्ञ कराना चाहिए। इससे पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
  • आषाढ़ अमावस्या पर भगवान सूर्य, भगवान शिव, माता गौरी और तुलसी की 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
  • आषाढ़ अमावस्या पर किसी गरीब या जरूरतमंद को दान-दक्षिणा दें। इस दिन घर आए किसी व्यक्ति को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए।

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आषाढ़ अमावस्या का महत्व

आषाढ़ अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने और पितरों का तर्पण करने के लिए सबसे शुभ दिन माना गया है। इसके बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना चाहिए। आषाढ़ माह में पड़ने वाले अमावस्या के दिन हल पूजन करने का भी विधान है।

आषाढ़ अमावस्या पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। वैसे तो आषाढ़ अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है। लेकिन अगर नदी स्नान संभव न हो तो आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर ब्रह्मा मुहूर्त में स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य देव को जल से अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए। आषाढ़ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव, माता गौरी और तुलसी पूजन भी करनी चाहिए।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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