Significance of Baisakhi 2020: बैसाखी सिखों का बड़ा और खास पर्व है जिसे वो त्योहार की तरह सेलिब्रेट करते हैं। इस साल बैसाखी 13 अप्रैल को मनाई जा रही है। बैसाखी वैशाख शब्द से बना है और इस दिन पंजाब के किसान सर्दियों की फसल काटने के बाद नए साल का जश्न मनाते हैं। यही वजह है कि यह पंजाब समेत आसपास के प्रदेशों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है।
मालूम हो कि बैसाखी हर साल 13 अप्रैल को मनाई जाती है और हर 36 साल में इसे 14 अप्रैल को सेलिब्रेट किया जाता है। इस बार बैसाखी सोमवार को मनाई जा रही है।
इसलिए मनाई जाती है बैसाखी
बैसाखी को सबसे बड़े त्योहार के तौर पर मनाए जाने की एक वजह यह भी है कि 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख इस त्यौहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।
इस दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं सिख
बैसाखी सिखों के लिए नया साल का पहला दिन होता है और वो इसे नव साल के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। खालसा संबत के अनुसार, खालसा कैलेंडर का निर्माण खलसा -1 वैसाख 1756 विक्रमी (30 मार्च 1699) के दिन से शुरू होता है।
ऐसे मनाई है बैसाखी
बैसाखी की रात लोग आग जलाकर उसके चारों ओर इकत्रित होते हैं और फसल काटने का जश्न मनाते हैं और भांगड़ा व गिद्दा करते हैं। गुरुद्वारों को सजाया जाता है और सिख श्रद्धालु मत्था टेकने यहां आते हैं और तालाब या झील में स्नान करते हैं। फिर गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहब को दूध और जल से प्रतीक रूप से स्नान करवाया जाता है। फिर गुरु ग्रंथ साहिब को तख्त पर प्रतिष्ठित किया जाता है। गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है इसे नगर कीर्तन कहा जाता है। सिख श्रद्धालु इसमें गीत गाते हैं और मंत्रोच्चारण करते हैं।
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