Sawan Purnima 2022: जानें सावन पूर्णिमा में क्या है नया जनेऊ पहनने का संबंध

Janeu Importance: सावन पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन ब्राह्मण पुराने जनेऊ का त्याग कर नया जनेऊ धारण करते हैं। नया जनेऊ धारण करने के लिए सावन पूर्णिमा का दिन सबसे उत्तम माना जाता है।

Janeu Importance on Sawan
जनेऊ का महत्व 
मुख्य बातें
  • नया जनेऊ धारण करने के लिए शुभ है सावन पूर्णिमा का दिन
  • सावन पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण धारण करते हैं नया यज्ञोपवीत
  • जनेऊ धारण करने से शरीर शुद्ध और मन पवित्र रहता है

Janeu Importance on Sawan Month: सभी पूर्णिमा में सावन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस दिन रक्षाबंधन का पर्व होता है, पूर्णिमा व्रत होते हैं और सभी तरह के शुभ कार्यों की शुरुआत करने के लिए भी यह दिन शुभ माना जात है। इस बार सावन पूर्णिमा 11 अगस्त को पड़ रही है। सावन पूर्णिमा पर स्नान-दान, व्रत-पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों से साथ ही यह दिन ब्राह्मणों के लिए खास होता है। क्योंकि सावन पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण पुराने जनेऊ का त्याग कर नया जनेऊ धारण करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता संकल्प लेते हैं और नया जनेऊ धारण करते हैं।

जनेऊ को यज्ञोपवीत भी कहा जाता है। हिंदू धर्म के कुल 16 संस्कारों में यज्ञोपवीत भी एक संस्कार है। ब्राह्मण जनेऊ के धागे को अपने कंधे के ऊपर और दाईं भुजा के नीचे धारण करते हैं। जनेऊ पहनने की परंपरा काफी पुरानी है। जनेऊ धारण करने से पहले और बाद भी कई नियम होते हैं, जिसका पालन करना जरूरी होता है।

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सावन पूर्णिमा के दिन है क्यों पहना जाता है नया जनेऊ

सावन पूर्णिमा का दिन नया जनेऊ धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन होता है। ज्योतिष के अनुसार, यदि व्यक्ति को जनेऊ बदलने की जरूरत पड़ती है तो ये दिन सबसे उत्तम होता है। इस दिन स्नानादि करने के बाद भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है और इसके बाद विधिपूर्वक नया जनेऊ धारण किया जाता है। धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेकर नया जनेऊ धारण करने की परंपरा होती है।

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क्यों पहना जाता है जनेऊ क्या है इसका महत्व

जनेऊ पहनने को लेकर धार्मिक दृष्टिकोण से ऐसा माना जाता है कि इससे शरीर शुद्ध और पवित्र रहता है। जनेऊ पहनने वाला व्यक्ति बुरे कामों से भी दूर रहता है और उस पर ईश्वर की विशेष कृपा बनी रहती है। लेकिन सावन पूर्णिमा के दिन नया जनेऊ धारण करने का महत्व इसलिए भी और अधिक बढ़ जात है क्योंकि इस दिन रक्षाबंधन भी होती है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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