Chanakya Neeti: आचार्य चाणक्य ने सम्राट चंद्रगुप्त को जब पहली बार देखा था, तभी वह पहचान गए थे कि नंद वंश को समूल नाश के लिए यही काम आ सकता है। चाणक्य ने अपने ज्ञान और समझदारी के बल पर यह पहचान की थी।
चंद्रगुप्त हालांकि उस समय बेहद ही सामान्य सा बालक था, लेकिन आचार्य चाणक्य ने उसके अंदर की प्रतिभा को पहचाना और उसे अपनी नीतियों और सिद्धांतों से निखार कर संपूर्ण भारत का सम्राट बना दिया था।
चाणक्य का मनना है कि हर छात्र सामान्य होता है, लेकिन उसे बदले की गुंजाइश कितनी है ये गुरु ही पकड़ सकता है। इसलिए हर शिक्षक को अपने छात्र के गुण को पहचनना जरूरी है और उस अनुसार उसे तराशना चाहिए। चाणक्य ने अपनी नीतियों में कुछ ऐसे संकेत दिए है, जिसे अपना कर शिक्षक भी बेहतर छात्र का निर्माण कर सकते हैं।
चाणक्य ने अपनी नीतियों में बहुत सख्त नियमों के साथ छात्र को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया है
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