आचार्य चाणक्य का मानना था कि विद्यार्थी जीवन एक तप के समान होता है। जिस तरह से तप करने के बाद एक तपस्वी को ईश्वर की प्राप्ति होती है, ठीक उसी तरह विद्यार्थियों को भी सफलता तभी मिलती है, जब वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए तप के समान जीवन जीते हैं। विद्यार्थियों के जीवन पर उनके परिवार, आसपास के माहौल और शिक्षा का प्रभाव जरूर पड़ता है, लेकिन कई बार विपरीत माहौल में भी विद्यार्थी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं और इसके पीछे आठ सूत्र काम करते हैं। इन आठ सूत्रों के बारे में चाणक्य ने अपनी नीति में विस्तार से बताया है।
Chanakya Ki Salah : Students ke liye Safalta Sutra
एक विद्यार्थी को चाणक्य की ये आठ बातें अपने जीवन काल में जरूर पालन करनी चाहिए। अगर इन बातों को उसने जीवन में उतार लिया तो सफलता में थोड़ी देर भले ही हो लेकिन निराशा हाथ नहीं लगेगी।
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