chanakya niti on Education : घोर निर्धन परिवार में जन्में आचार्य चाणक्य अपने गुण और उग्र स्वभाव के कारण कौटिल्य कहलाए। चाणक्य ने उस समय के महान शिक्षा केंद्र तक्षशिला से शिक्षा ग्रहंण कर 26 वर्ष की आयु में समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र में शिक्षा पूर्ण किया था। इसके बाद नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षक कार्य भी किया।
भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के पितामह कहे जाने वाले चाणक्य ने अपनी नीतियों में ना केवल सफलता के मूलमंत्र का ही उल्लेख किया बल्कि जीवन के हर पहलू पर बात की है। चाणक्य ने एक श्लोक माध्यम से बताया है कि विद्या के बिना इंसान का जीवन कुत्ते की पूंछ की तरह होता है। जिस प्रकार कुत्ते की पूंछ ना गुप्त इंद्रियों को ढ़कने के काम आती है और ना ही मच्छर हटाने के ठीक उसी प्रकार शिक्षा के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं होता। इसलिए सुखी जीवन के लिए विद्या अर्जित करना बेहद आवश्यक है।
शिक्षा के बिना मनुष्य का जीवन है व्यर्थ
आचार्य चाणक्य अपने नीतिशास्त्र में एक श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि, शिक्षा के बिना मनुष्य का जीवन कुत्ते की पूंछ की तरह होता है। जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता। अनपढ़ व्यक्ति का समाज में कोई महत्व नहीं होता, ऐसे व्यक्ति को लोग बोझ की तरह देखते हैं।
शिक्षित व्यक्ति कर सकता है कोई भी कार्य
आचार्य चाणक्य के अनुसार शिक्षा के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा होता है। एक शिक्षित व्यक्ति किसी भी कार्य को सफलता पूर्वक कर सकता है। लेकिन यदि आपके पास ज्ञान नहीं है तो आप सरल से सरल कार्य भी नहीं कर पाएंगे।
शिक्षा से दूर होता है अंधकार
आचार्य चाणक्य के अनुसार जीवन के अंधकार को शिक्षा से ही दूर किया जा सकता है। जिस व्यक्ति के पास शिक्षा रूपी मसाल होती है अंधेरा उससे कोसों दूर रहता है। इसलिए व्यक्ति को सर्वप्रथम शिक्षा ग्रहंण करनी चाहिए।
शिक्षा से होता है सही और गलत का ज्ञान
चाणक्य कहते हैं कि शिक्षा से ही व्यक्ति को सही और गलत का ज्ञान होता है। शिक्षा का अभाव होने पर व्यक्ति सही और गलत को परखने में नाकामयाब होता है। एक शिक्षित व्यक्ति आसानी से सही और गलत का पता लगा सकता है।
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