अर्थशास्त्र के रचयिता कौटिल्य यानि चाणक्य की नीतियों में इतना दम माना जाता है कि ये एक इंसान को भी सकती है और उजाड़ भी सकती है। इसका उदाहरण चंद्रगुप्त मौर्य और धनानंद रहे हैं। खास बात ये है कि चाणक्य ने जो नीतियां बनाईं है वह मौजूद समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। चाणक्य की नीतियां इंसान को जीवन में सफल होने का मूलमंत्र देती हैं। आचार्य चाणक्य ने एक ऐसा ही मूलमंत्र दिया है वह यह कि चार ऐसे काम जीवन में होते हैं जनिके लिए इंसान को सोचने की जरूरत नहीं होती। ये काम तुरंत करने चाहिए। तो आइए जानें क्या हैं ये चार काम।
ज्ञानार्जन
चाणक्य ने हर इंसान को यह नसीहत दी है कि शिक्षा जहां मिले वहां बिना पूछे और बिना सोचे बैठ जाना चाहिए। ज्ञानार्जन करना इंसान के लिए प्रगति की राह को खोलता है और इसे प्राप्त करने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए। क्योंकि ज्ञानार्जन में संकोच इंसान को गर्त में ले जाता है। यदि शिक्षा में कहीं संशय हो अथवा कोई प्रश्न हो तो उसे तुंरत पूछ लेना चाहिए।
मदद और दान
जब भी किसी की मदद करनी हो या किसी को दान देना हो तब सोचना नहीं चाहिए। अपनी श्रद्धानुसार और क्षमता के अनुसार हमेशा मदद के लिए तैयार रहना चाहिए। जो इंसान सोचकर मदद करता है वह स्वार्थी माना जाता है। इसलिए मदद और दान हमेशा बढ़-चढ़ कर करें।
अपनों से संकोच
कई बार इंसान अपनो से भी संकोच करता है, क्योंकि उसे लगता है कि उसकी बातें कहीं अपनों को बुरी न लगें। इसलिए कई बार लोग गलत या बुरी चीजों पर भी अपनों को नहीं टोकते। ऐसा करना बिलकुल गलत है। यदि आपको लगता है कि आपके अपने कुछ गलत कर रहे हैं तो बिना संकोच के उन्हें रोकें और बताएं।
भोजन
चाणक्य का मानना है कि भोजन करने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए। यदि आपको भूख लगी है तो बिना सोचे या संकोच किए खाने के लिए बोल दें। अथवा संकोच में कभी कम पेट खाना ना खाएं। खाना इंसान की जरूरत है और यदि ये नहीं मिले तो कोई इंसान बेहतर काम नहीं कर सकता है।
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