भारत की जमीन ने कई ऐसे महानुभावों को जन्म दिया है जिनका नाम ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी सदियों से प्रचलित है। भारतीय हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा चुके हैं। विशिष्ट रूप से अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र की बात करें तो आचार्य चाणक्य को इसका जनक कहा जाता है। सदियों बाद आज के युग में भी आचार्य चाणक्य की नीतियां व विचार सत प्रतिशत उम्दा और सटीक साबित होती हैं। इन नीतियों पर चलकर व्यक्ति सफल और सुखद जीवन की कामना कर सकता है।
वहीं आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में समाज में सम्मान पाने के लिए भी कई नीतियों का उल्लेख किया है। आचार्य चाणक्य के अनुसार जाने अनजाने में ये बातें आपके अपमान का कारण बन सकती हैं। आइए जानते हैं।
1. अपनी हरकतों पर दें विशेष ध्यान
आचार्य चाणक्य एक श्लोक के माध्यम से उल्लेख करते हैं कि हमारे जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं, जब किसी कारणवस हमारा उपहास किया जाता है यानि हमें मजाक का पात्र बनना पड़ता है। इसलिए हमें अपनी हरकतों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
2. डींगे मारना
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को कभी भी भूलकर बहंकना नहीं चाहिए। जो व्यक्ति डींगे हांकता है यानि बड़ी बड़ी फैंकता है वह हमेशा अपमान का पात्र बनता है। इसलिए हमेशा सोच समझकर किसी से बात करें और अपनी तारीफ खुद से ना करें।
3. घर की पोल पट्टी ना करें शेयर
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को घर की पोल पट्टी भूलकर भी किसी बाहरी व्यक्ति से साझा नहीं करना चाहिए। यदि आप अपने घर की पोल पट्टी किसी बाहरी व्यक्ति से शेयर करते हैं तो यह आपके मजाक का कारण बन सकता है। इसलिए भूलकर भी अपने घर की बातों को किसी बाहरी व्यक्ति से शेयर ना करें।
4. दुख तकलीफ ना करें साझा
आचार्य चाणक्य के अनुसार कभी भी किसी बाहरी व्यक्ति से अपना दुख तकलीफ नहीं बताना चाहिए। क्योंकि अक्सर लोग आपके सामने हमदर्दी दिखाकर समाज में आपका उपहास उड़ाते हैं।
5. एक दूसरे की बात ना करें किसी से साझा
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति इधर की बात उधर करता है यानि आपकी बात किसी दूसरे व्यक्ति को बताता है और दूसरे की बात आपको बताता है। ऐसे व्यक्ति का समाज में हमेशा मजाक बनाया जाता है।
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