घर में गणेश जी प्रतिमा की स्थापना करने के खास मंत्र होते हैं। साथ ही पुष्प अर्पित करने से लेकर चंदन लगाने या भोग लागते समय भी मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। तभी पूजा पूर्ण और सफल होती है। कई बार मनुष्य को ये जानकारी नहीं होती की उसके तमाम पूजा के बाद भी उसे मनचाहे फल की प्राप्ति क्यों नहीं होती? इसके पीछे एक नहीं वैसे तो अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन यदि पूजा के समय मनुष्य का मन या विश्वास हिल जाए तो भी पूजा सफल नहीं होती।
वहीं, पूजा करने के दौरान भगवान को कुछ भी अर्पित करने से पहले उस वस्तु से जुड़े मंत्र का जाप भी करना जरूरी होता है। इन छोटी लेकिन महत्वपूर्ण गलतियों के कारण ही कई बार पूजा सफल नहीं होती। तो आइए आपको आज गणपति जी की स्थापना करने के दौरान जपे जाने वाले मंत्र के साथ पूजा के संपूर्ण मंत्र से परिचित कराएं।
घर गणपति की स्थापना बेहद सावधानी और पूरे मंत्र उच्चराण के साथ करनी चाहिए। तो आए आपको भगवान की पूजा से जुड़े सभी मंत्र की जानकारी दें।
आवाहन मंत्र
गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं।
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।
प्राण प्रतिष्ठा मंत्र
अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।।
आसान में बैठाने का मंत्र
रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम।
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।।
स्नान का मंत्र
गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:।
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे।।
पहले दूध् से स्नान कराएं और यह मंत्र जपें
कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम।
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं।।
दही से स्नान कराते वक्त यह मंत्र जपें
पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं।
ध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां।।
घी से स्नान कराते वक्त यह मंत्र जपें
नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।।
शहद से स्नान करते वक्त यह मंत्र जपें
तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।
पंचामृत से स्नान कराते वक्त यह मंत्र जपें
पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं।
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।
शुद्ध जल से स्नान कराएं और यह मंत्र जपें
मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम।
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।
वस्त्र पहनाने का मंत्र
सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे।
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां।।
जनेऊ मंत्र
नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||
चन्दन चढ़ाने का मंत्र
रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम।
मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम।।
रोली लगाने का मंत्र
कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम ।
कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्:।।
सिन्दूर चढ़ाने का मंत्र
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां।।
अक्षत चढ़ाने का मंत्र
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः।।
पुष्प चढ़ाने का मंत्र
पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै:।
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां।।
बेल का पत्र चढ़ाने का मंत्र
त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै: शुभै:।
तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर :।।
दूर्वा चढ़ाने का मंत्र
त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि।
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव।।
आभूषण चढ़ाने का मंत्रअलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान।
गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर:।।
धूप मंत्र
वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम :। आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां।।
दीप मंत्र
आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया। दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम।।
मिठाई अर्पण करने का मंत्र
शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम। उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां।।
आरती मंत्र
चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च। त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम।।
अब आप जब भी गणपति जी की पूजा करें तो इन मंत्रों का जाप जरूर करें ताकि आपकी पूजा पूर्ण और सफल हो सके।
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