Ganesh Chalisa in Hindi Lyrics: हिंदी में संपूर्ण गणेश चालीसा, गजानन की मह‍िमा का जाप देगा महापुण्य

Ganesha Chalisa Lyrics in Hindi: आज पूरे भारत में गणेश चतुर्थी के पर्व की धूम मची हुई है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा-उपासना के साथ गणेश चालीसा का जाप करना भक्तों के लिए लाभदायक माना गया है।

Ganesha Chalisa Lyrics in Hindi For Worshipping Lord Ganesha, Ganesha Chalisa Hindi Lyrics
गणेश चालीसा हिंदी लिरिक्स (Pic: Istock) 
मुख्य बातें
  • आज उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है गणेश चतुर्थी का पर्व।
  • गणेश आराधना के दौरान करें श्री गणेश चालीसा का जाप।
  • गणेश चालीसा के जाप से होते हैं सभी विघ्न-बाधाएं दूर।

Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi: सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बेहद पवित्र माना गया है। आज पूरे भारत में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है। हर वर्ष यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आज गणपति जी घर-घर में विराजेंगे।

मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभदायक है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से बुद्धि, धर्म, ज्ञान के दाता श्री गणेश भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। इसके साथ श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से भक्तों के जीवन में आ रही विघ्न-बाधाएं हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं।

श्री गणेश की पूजा-आराधना करते समय गणेश चालीसा का जाप अवश्य करें। यहां देखें गणेश चालीसा की हिंदी लिरिक्स।

Ganesha Chalisa Lyrics in Hindi, गणेश चालीसा लिरिक्स हिंदी में

जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल।।

जय जय जय गणपति गणराजूमंगल भरण करण शुभ काजू।
जै गजबदन सदन सुखदाता विश्व विनायक बुद्घि विधाता ।।

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन।
राजत मणि मुक्तन उर माला स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला।।

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं मोदक भोग सुगन्धित फूलं।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित चरण पादुका मुनि मन राजित।।

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता गौरी ललन विश्वविख्याता।
ऋद्घिसिद्घि तव चंवर सुधारे मूषक वाहन सोहत द्घारे।।

कहौ जन्म शुभकथा तुम्हारी अति शुचि पावन मंगलकारी।
एक समय गिरिराज कुमारी पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी।।

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा।
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी बहुविधि सेवा करी तुम्हारी।।

अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा।
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला बिना गर्भ धारण, यहि काला।।

गणनायक, गुण ज्ञान निधाना पूजित प्रथम, रुप भगवाना।
अस कहि अन्तर्धान रुप है पलना पर बालक स्वरुप है।।

बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना।
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं।।

शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं सुर मुनिजन। सुत देखन आवहिं।
लखि अति आनन्द मंगल साजा देखन भी आये शनि राजा।।

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं बालक। देखन चाहत नाहीं।
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो उत्सव मोर न शनि तुहि भायो।।

कहन लगे शनि, मन सकुचाई का करिहौ। शिशु मोहि दिखाई
नहिं विश्वास उमा उर भयऊ शनि सों बालक देखन कहाऊ।।

पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा। 
गिरिजा गिरीं विकल है धरणी सो दुख दशा गयो नहीं वरणी।।

हाहाकार मच्यो कैलाशा शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा।
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो काटि चक्र सो गज शिर लाये।।

बालक के धड़ ऊपर धारयो प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो।
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे।।

बुद्ध परीक्षा जब शिव कीन्हा पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा।
चले षडानन, भरमि भुलाई रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई।।

चरण मातुपितु के धर लीन्हें तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें।

धानी गणेश कही शिवाये हुए हर्षयो नभा ते सुरन सुमन बहु बरसाए।।

तुम्हरी महिमा बुद्ध‍ि बड़ाई शेष सहसमुख सके न गाई।
मैं मतिहीन मलीन दुखारी करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी।।

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा जग प्रयाग, ककरा।
दर्वासा अब प्रभु दया दीन पर कीजै अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै।।

।।दोहा।।

 श्री गणेश यह चालीसा,
 पाठ करें धर ध्यान,
 नित नव मंगल गृह बसै,
 लहे जगत सन्मान,
 सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
 ऋषि पंचमी दिनेश,
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ति गणेश।।

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