नवरात्रि पर सप्तमी, अष्टमी या नवमी का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के छठवें दिन देवी धरती पर आती हैं, इसलिए उनकी पूजा-अर्चना के साथ हवन भी किया जाता है। हवन करते समय समस्त देवताओं के नाम के साथ कुल देवी या देवता का नाम भी लेना चाहिए। साथ ही हवन के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है, उसकी लिस्ट भी पहले से ही तैयार कर लेनी चाहिए, ताकि हवन में कोई कमी न रहे। यदि आप भी नवरात्रि पर खुद ही हवन करना चाहते हैं तो आइए आपको हवन से जुड़ी हर जानकारी दें।
वेदानुसार यज्ञ पांच प्रकार के होते हैं- ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृयज्ञ, वैश्वदेव यज्ञ और अतिथि यज्ञ। इसमें से देवयज्ञ ही अग्निहोत्र कर्म है। इसे ही हवन कहते हैं। यह अग्निहोत्र कर्म कई प्रकार से किया जाता है। नवरात्रि में देवी के निमित्त हवन किया जाता है।
जानें, हवन मंत्र से लेकर सामग्री तक की पूरी जानकारी (Ashtami Havan Vidhi)
हवन कुंड : हवन कुंड यदि आपके पास है तो ठीक है, अन्यथा आप 8 ईंट जमाकर हवन कुंड बना सकते हैं। इसके बाद इस कुंड को गोबर या मिट्टी से लेप लें। कुंड हमेशा चौकोर होना चाहिए। इसकी लंबाई, चौड़ाई व गहराई समान होनी चाहिए। अब इसके चारों ओर मौली बांध दें और स्वास्तिक बना लें। हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें और फिर इसमें नारियल, शहद, घी इत्यादि पदार्थों की आहुति दें।
हवन में काष्ठ कौन सी लें
हवन सामग्री में काष्ठ, समिधा और घी ले सकते हैं। आम या ढाक की सूखी लकड़ी के अलावा आप नवग्रह की नौ समिधा (आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा) भी इसमें शामिल कर सकते हैं।
हवन सामग्री लिस्ट (Ashtami Havan Samagri List)
कूष्माण्ड (पेठा), 15 पान, 15 सुपारी, लौंग 15 जोड़े, छोटी इलायची 15, कमल गट्ठे 15, जायफल 2, मैनफल 2, पीली सरसों, पंच मेवा, सिन्दूर, उड़द मोटा, शहद 50 ग्राम, ऋतु फल 5, केले, नारियल 1, गोला 2, गूगल 10 ग्राम, लाल कपड़ा, चुन्नी, गिलोय, सराईं 5, आम के पत्ते, सरसों का तेल, कपूर, पंचरंग, केसर, लाल चंदन, सफेद चंदन, सितावर, कत्था, भोजपत्र, काली मिर्च, मिश्री, अनारदाना। चावल 1.5 किलो, घी एक किलो, जौ 1.5 किलो, तिल 2 किलो, बूरा तथा सामग्री श्रद्धा के अनुसार। अगर, तगर, नागर मोथा, बालछड़, छाड़छबीला, कपूर कचरी, भोजपत्र, इन्द जौ, सितावर, सफेद चन्दन बराबर मात्रा में थोड़ ही सामग्री में मिला लें।
हवन विधि और मंत्र (Ashtami Havan Vidhi and Mantra)
देवी की पूजा के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद इन मंत्रों से आहुति देते हुए हवन शुरू करें।
ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा)।
ॐ गणेशाय नम: स्वाहा।
ॐ गौरियाय नम: स्वाहा।
ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा।
ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा।
ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा।
ॐ हनुमते नम: स्वाहा।
ॐ भैरवाय नम: स्वाहा।
ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा।
ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा
ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा।
ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा।
ॐ शिवाय नम: स्वाहा।
ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा।
स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा।
ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा।
ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
इसके बाद नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति दें। गणेशजी की आहुति दें। सप्तशती या नर्वाण मंत्र से जप करें। सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें।
प्रथम से अंत अध्याय के अंत में पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, लौंग 2 नग, छोटी इलायची 2 नग, गूगल व शहद की आहुति दें तथा पांच बार घी की आहुति दें। यह सब अध्याय के अंत की सामान्य विधि है।
तीसरे अध्याय में गर्ज-गर्ज क्षणं में शहद से आहुति दें।
आठवें अध्याय में मुखेन काली इस श्लोक पर रक्त चंदन की आहुति दें।
पूरे ग्यारहवें अध्याय की आहुति खीर से दें। इस अध्याय से सर्वाबाधा प्रशमनम् में कालीमिर्च से आहुति दें। नर्वाण मंत्र से 108 आहुति दें।
अंत में पूर्ण आहूति के लिए नारियल में छेद कर घी भरकर, मौली से लपेटकर पान, सुपारी, लौंग, जायफल, बताशा, अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति मंत्र बोले- 'ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।'
पूर्ण आहुति के बाद देवी के समक्ष दक्षिणा रखें और परिवार सहित आरती करके हवन पूर्ण करें और साथ ही देवी से क्षमा मांगते हुए मंगलकामना करें।
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