Navratri 2020 2nd day: दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें मुहूर्त, कथा, मंत्र, आरती, रंग व भोग

Method of worship of Goddess Brahmacharini: नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी की पूजा इस दिन कैसे करें और उनका ध्यान मंत्र, आरती और कथा क्या है, आइए आपको विस्तार से बताएं।

Method of worship of Goddess Brahmacharini, देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि
Method of worship of Goddess Brahmacharini, देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि 
मुख्य बातें
  • घनघोर तप के कारण देवी का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा है
  • देवी की पूजा से कार्य में तल्लीनता की प्राप्ति होती है
  • छात्रों को इस दिन देवी की पूजा जरूर करनी चाहिए

देवी ब्रह्मचारिणी घनघोर तप करने वाली देवी हैं। जब एक बार भवगवान शिव ने अपने आप को अग्नि का स्वरूप बना लिया था तब देवी ने पहाड़ की कंद्राओं में जा कर घनघोर तप किया और इसी कारण से वह ब्रह्मचारिणी कहलाईं। देवी का स्वरूप बहुत ही सादा और शांत है। देवी का यह रूप बहुत ही मोहक है। मां के पूजन से जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और इस दिन अध्ययन और अध्यापन से जुड़े लोगों को देवी की पूजा जरूर करनी चाहिए। तो आइए जानते हैं माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, महत्व, कथा, मंत्र और आरती।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ( Maa Brahmacharini Ka Swaroop)

देवी सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है। देवी की पूजा करने से किसी भी कार्य के प्रति कर्तव्य, लगन और निष्ठा बढ़ती है। देवी अपने भक्तों के अंदर भक्तिभावना उत्पन्न करने वाली मानी गई हैं। देवी ने भगवान शंकर को पाने के लिए घनघोर तब तक किया जब तक वह उन्हें पा नहीं सकीं। उनकी भक्ति और लगन उनके भक्तों में भी आती है।

नवरात्र‍ि दूसरा द‍िन ब्रह्मचारिणी पूजन मुहूर्त (Navratri second Day Maa Brahmacharini Puja Muhurat)

18 अक्‍टूबर को नवरात्रों के दूसरे द‍िन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी। इस पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 09:12 से लेकर दोपहर 12:22 तक रहेगा। एक मुहूर्त द‍िन में 11:20 पर भी शुरू होगा जो 12:06 म‍िनट तक रहेगा। इसके बाद रात को 10:20 पर भी एक मुहूर्त है जो मध्‍य रात्र‍ि तक रहेगा। 

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व (Maa Brahmacharini Ki Puja Ka Mahatva)

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि करने से मनुष्य के अंदर तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। देवी की पूजा छात्रों को जरूर करनी चाहिए। उकनी पूजा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। देवी अपने भक्तों को तेजस्व और भव्यता का आशीर्वाद देती हैं। जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति के लिए देवी पूजा बहुत मायने रखती है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि ( Maa Brahmacharini Ki Puja Vidhi)

नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह स्नान कर देवी को चौकी या पीढ़े पर स्थापित करें। इससे पूर्व पीढ़े पर सफेद आसन बिछा लें। इसके बाद दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से देवी को स्नान कराएं। तत्पश्चात देवी को सफेद वस्त्र प्रदान कर उनका श्रृंगार करें और धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें। देवी के समक्ष कर्पूर का धूप करें। देवी के समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। पूजा के अंत में देवी के मंत्र, आरती और कथा का श्रवण करें। और भोग लगा कर देवी का प्रसाद वितरित करें।

देवी को पीला फूल और भोग आर्पित करें (Offer yellow flowers and Bhog to Goddess)

देवी को इस दिन पीले फूल अर्पित करें। आप चाहें तो गुड़हल या कमल फूल भी चढ़ा सकते है। साथ में देवी को अक्षत, रोली और चंदन लगाएं। इस दिन देवी को केसरिया मिठाई, केला आदि का भोग लगाना चाहिए। पूजा करने से पहले हाथ में फूल लेकर इस मंत्र का जप करें।

कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा (Maa Brahmacharini Ki Katha)

भगवान शंकर अपनी तपस्या में ही लीन रहते थे। देवी उनसे विवाह करना चाहती थी, लेकिन शंकर जी ध्यानमग्न रहा करते थे। तब एक दिन देवी पार्वती ने कामदेव से तपस्यारत शिवजी में कामवासना का तीर छोड़ने को कहा। कामदेव ने भगवान शिव पर तीर छोड़ दिया, जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई और भगवान शिव कामदेव पर अत्याधिक क्रोधिक हो गए। जिसके बाद उन्होंने अग्नि का रूप ले लिया और स्वंय के साथ- साथ कामदेव को भी जला दिया। यह देख देवी पार्वती को नारद जी ने सलाह दी की वह तप करें और तब देवी पार्वती ने पहाड़ पर जाकर कई हजार साल तक तप करती रहीं। पत्ते  आदि खा कर वह हजार साल तक धूप-बारिश और शीत में तप करती रहीं। देवी पार्वती ने इतनी कठोर तपस्या ने भगवान शिव का ध्यान आकर्षित कर लिया और तब शिवजी ने उन्हें विवाह का वचन दिया।

मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र (Maa Brahmacharini Ke Mantra)

1.या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

2. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

3.ध्यान मंत्र वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥ गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥ परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन। पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

4. तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्। ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥ शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी। शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

5.कवच मंत्र त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी। अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥ पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥ षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो। अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी॥

मां ब्रह्मचारिणी की आरती (Maa Brahmacharini Ki Aarti)

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने। जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।

नवरात्रि के दूसरे दिन पूरे परिवार के साथ देवी ब्रह्मचारिणी का व्रत और पूजन करें। इससे आपके जीवन के हर कष्ट मिट जाएंगे।

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