कालाष्टमी हर मास में आती है और एक साल में 12 कालाष्टमी होती है। हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत और पूजा की जाती है। 9 अक्टूबर दिन शुक्रवार को कालाष्टमी है और इस दिन आप यदि भगवान शिव के विग्रह अवतार काल भैरव बाबा से जुड़े कुछ उपाय कर लें तो आपके रोग, संकट और बाधांए दूर हो सकती हैं। अधिक मास में कालाष्टमी का व्रत और पूजन का महत्व बहुत अधिक माना गया है। तो आइए जानें कि किन उपायों को करके आप अपने सकंट दूर कर सकते हैं।
इन उपायों को कालाष्टमी पर आजमा कर देंखें, मिलेगा बहुत लाभ
यदि आप किसी असाध्य रोग से ग्रसित हैं तो आपके लिए बहुत सुनहरा मौका है। कालाष्टमी पर आप काल भैरव की पूजा करने के बाद काल भैरव चालिसा का पाठ जरूर करें। चालिसा पढ़ने के बाद बाबा के समक्ष अपने रोग मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
मनोकामना पूर्ति के लिए कालाष्टमी के दिन 21 बेलपत्र लें और उस पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। साथ ही काल भैरव बाबा पर काला धागा चढ़ा कर उसे अपने गले या हाथ में जरूर पहनें। आपकी कामना जरूर पूरी होगी।
यदि आपके ऊपर कोई नराकरात्मक शक्तियां हो या किसी रोग से मुक्ति नहीं मिल रही तो कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को कराएं को भोजन जरूर कराएं। ये उपाय आपकी मन की कामना पूर्ति के लिए भी कारगर है। काला कुत्ता काल भैरव जी की सवारी है और उसकी सेवा करने से वह प्रसन्न होते हैं।
कालाष्टमी पर देवी दुर्गा की पूजा का भी बहुत महत्व होता है। काल भैरव जी दुर्गाजी की अगवानी करते हैं और जहां देवी होती हैं, वहां वह भी मौजूद होते हैं। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करने से संकट और शत्रु दोनों से ही मुक्ति मिलती है।
कालाष्टमी के दिन काल भैरव बाबा का कथा सुनने भर से मनुष्य के हर दोष दूर होते हैं। यदि आपके घर में नकारात्मकता का वास है तो घर में इस कथा का वाचन जरूर करें। साथ ही इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कथा का श्रवण भी करना चाहिए।
बाबा को प्रसन्न करने के लिए कालाष्टमी के दिन चना-चिरौंजी, पेड़ा, काली उड़द और उड़द की दाल से बने व्यंजन का भोग लगाना चाहिए। इमरती, दही, दूध और मेवा का भोग लगा कर आप अपना मनचाहा वरदान पा सकते हैं।
कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव के साथ शिव परिवार और देवी दुर्गा की पूजा भी जरूर करें। इससे आपकी सारी ही कामनाएं अवश्य पूरी होंगी।
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