काल भैरव शिव जी का ही एक स्वरूप हैं। भगवान शिव के इस रूप की पूजा से मृत्यु का भय खत्म होता है और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को तंत्र का देवता माना जाता है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ने वाली अष्टमी भैरव अष्टमी के नाम से जानी जाती है। राहु के प्रभाव को कम करने के लिए भैरो उपासना की जाती है। माता वैष्णो की भी पूजा बिना भैरव दर्शन के अधूरी ही मानी जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच में विवाद हुआ, जिसकी वजह से भगवान शंकर अत्यधिक क्रोधित हो गए थे। उनके क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ था। कहते हैं जिस दिन काल भैरव उत्पन्न हुए थे उसी दिन कालाष्टमी की तिथि थी। मंगलवार रात को काल भैरव की पूजा काले कपड़े पहन कर करने से सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। जानें काल भैरव की पूजा किन लोगों के लिए आवश्यक है-
यही नहीं यदि जीवन में शनि और राहु की बाधाएं आ रही हैं तो वह भी इनकी कृपा से दूर होगी। इनकी पूजा करने से डर से लड़ने की हिम्मत भी मिलती है।
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