Kalashtami: आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी होती है। इस बार 6 जनवरी दिन बुधवार को कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के रूप भैरव बाबा की उपासना की जाती है। कहते हैं कालाष्टमी पर यदि मनुष्य काल भैरव की पूजा-अर्चना कर व्रत का पालन करे तो उसके जीवन की सारी ही बाधाएं दूर होती हैं और मनचाहि मुराद पूरी हो जाती है। कालाष्टमी पर भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनके बीज मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। साथ ही किसी समस्या का निराकरण करना हो तो कालाष्टमी के दिन जरूर प्रयास करना चाहिए।
कालाष्टमी के दिन ऐसे करें भैरव बाबा की पूजा
कालाष्टमी के दिन सूर्योदय के साथ ही स्नान कर व्रत-पूजन का संकल्प लें। इसके बाद काल भैरव मंदिर में जा कर भगवान भैरव बाबा को पुष्प,धूप-दीप आदि अर्पित करें। इसके बाद भोग में भगवान को जलेबी जरूर चढ़ाएं। इसके बाद रुद्राक्ष की माला ले कर मंदिर में ही बैठ कर भगवान के इस बीज मंत्र का जाप करें- 'ऊं ह्रीं बटुकाय आपद्उद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ऊं।।'
इन समस्याओं से बचने के लिए करें ये उपाय
यदि पति-पत्नी के बीच अनबन हो अथवा प्रेम की कमी हो तो कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा की पूजा के बाद शिव जी की प्रतिमा के आगे आसन बिछाकर बैठ जाएं और शिव चालीसा का पाठ करें।
सुख-साधनों की प्राप्ति के लिए कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा के आगे मिट्टी के दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उनके बीज मंत्र का जाप करें।
जीवन में खुशहाली के लिए कालाष्टमी के दिन किसी नदी या तालाब में स्नान कर अपने पितरों का तर्पण जरूर करें। यदि नदी में स्नान न कर सकें तो घर पर ही नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
यदि जीवन में स्थिरता न हो तो कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा को काले तिल अर्पित करें और मंदिर का घंटा बजा कर भैरव बाबा के बीज मंत्र का जाप करें।
यदि आपके जीवन में कोई दुविधा आ गई हो तो उससे निकलने के लिए 7 बिल्व पत्र लें और उन्हें साफ पानी से धोकर उस पर चंदन से ‘ऊं’ लिखें और इसे शिवलिंग पर चढ़ा दें।
व्यापार आदि में बरकत के लि भैरव बाबा के मन्दिर में जाकर उनहें सवा सौ ग्राम साबुत उड़द चढ़ाएं और उसमें से 11 उड़द के दाने निकाल लें और एक काले कपड़े में बांधकर अपने कार्यस्थल पर तिजोरी में रख दें। इस उपाय को करते हुए बाबा के बीज मंत्र का जाप करते रहें।
यदि बच्चे का मन पढ़ाई-लिखाई में न हो तो इसके लिए कालाष्टमी के दिन एक मुट्ठी काले तिल लेकर भैरव बाबा का ध्यान करते हुए अपने बच्चे के सिर से सात बार वार दें। ध्यान रहे कि छ बार क्लॉक वाइज़ और एक बार एंटी क्लॉक वाइज़ तिल को वारना होगा। इसके बाद इन तिलों को किसी बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
अगर आपको किसी प्रकार का भय बना रहता है तो उस भय से छुटकारा पाने के लिए कालाष्टमी के दिन भैरव जी के चरणों में एक काले रंग का धागा रख दें और उनकी पूजा के बाद उस धागे को बीज मंत्र का जाप करते हुए अपने दाएं पैर में बांध लें।
काल भैरव बाबा की पूजा कालाष्टमी के साथ ही रविवार के दिन भी करनी चाहिए। काल भैरव जी का रविवार विशेष दिन माना गया है।
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