Chandra Grahan May 2022 Date and Time in India, Live Streaming: साल का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा और यह सुपरमून के साथ-साथ ब्लड मून भी होगा। एक सुपरमून तब होता है जब एक पूर्ण चंद्रमा अपनी अण्डाकार कक्षा में पृथ्वी के निकटतम दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है और यह वर्ष में केवल तीन से चार बार ही हो सकता है। एक सुपरमून रात के आकाश में सामान्य से बड़े चंद्रमा के रूप में दिखाई देता है क्योंकि यह पृथ्वी के करीब है। पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया के सबसे गहरे हिस्से में आता है, जिसे अम्ब्रा कहा जाता है जिसके परिणामस्वरूप चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा।
कहां दिखेगा पूर्ण चंद्रग्रहण?
पूर्ण चंद्र ग्रहण पूरे उत्तर, दक्षिण अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा। पश्चिमी गोलार्ध में चंद्रमा 15 मई की रात को पृथ्वी की छाया में प्रवेश करेगा। हालांकि साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, लेकिन देश में लोग इस खगोलीय घटना को ऑनलाइन देख सकते हैं। भारत में रहने वाले लोगों के लिए ग्रहण 16 मई को सुबह 7:02 बजे से शुरू होगा।
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ऑनलाइन कैसे देख सकते हैं चंद्र ग्रहण (How to watch Chandra Grahan)
भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा। लेकिन अगर आप इस घटना को देखना चाहते हैं तो 16 मई को अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर जाकर इसे देख सकते हैं. या फिर सीधे नासा की वेबसाइट (www.nasa.gov/nasalive) पर जाकर भी इसे देखा जा सकता है।
Blood Moon: कैसा नजर आएगा ब्लड मून?
सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण की घटना होती है। ऐसे में जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी के किनारों से होकर चांद तक पहुंचती है तो इसका नीला और हरा रंग वातावरण में बिखर जाता है, क्योंकि इनकी वेवलेंथ कम होती है, जबकि लाल रंग की वेवलेंथ ज्यादा होती है और वो चंद्रमा तक पहुंच पाता है। ऐसे में चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देने लगता है और इसे ब्लड मून कहते हैं।
Chandra grahan: चंद्र ग्रहण के प्रकार
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है। पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूर्ण रूप से आ जाती है, इस स्थिति में पृथ्वी चंद्रमा को पूर्ण रूप से ढक लेती है, इसे सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है। दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूर्ण रूप से ना आकर उसकी छाया चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर पड़ती है तो इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। वहीं तीसरा उपच्छाया चंद्र ग्रहण होता है, इस स्थिति में सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में ना होकर पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है।
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