Mahabharat Yudh: 18 द‍िन चला था महाभारत का युद्ध, जानें क‍िस द‍िन क्‍या हुआ था

आध्यात्म
मेधा चावला
मेधा चावला | SENIOR ASSOCIATE EDITOR
Updated May 14, 2020 | 08:17 IST

Kurukshetra Yudh: महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र की धरती पर लड़ा गया था। ये भीषण लड़ाई 18 द‍िन चली थी। जानें क‍िस द‍िन क्‍या हुआ था।

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Kurukshetra Yudh : 18 द‍िन में कब हुआ क‍िसका व‍ध 
मुख्य बातें
  • कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध 18 दिन चला
  • इस भीषण युद्ध में 18 ही योद्धा जीवित बचे थे
  • 10वें द‍िन बनी थी भीष्‍म के लिए बाणों की शैया

महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। यह मार्गशीर्ष शुक्ल 14 को प्रारम्भ होकर लगातार 18 दिन तक चला था। पुराणों के अनुसार, पांडवों को मिलाकर इस युद्ध में 18 योद्धा की जीव‍ित बचे थे। महाभारत में इस युद्ध को धर्मयुद्ध भी कहा गया है, क्योंकि यह सत्य और न्याय के लिए लड़ा गया था। माना जाता है क‍ि ज‍िस द‍िन दुर्योधन ने छल से युध‍िष्‍ठ‍िर से राजपाट छीनकर द्रौपदी के चीर हरण का प्रयास क‍िया था, उसी द‍िन से इस युद्ध की नींव पड़ गई थी। इसी युद्ध में श्रीकृष्‍ण ने अुर्जन को गीता का ज्ञान भी द‍िया था। 

जानें महाभारत के युद्ध में क‍िस द‍िन क्‍या हुआ था - 

पहला द‍िन 
विराट नरेश के पुत्र उत्तर और श्वेत को शल्य और भीष्म ने मार दिया था। भीष्म ने पांडवों के कई सैनिकों का वध कर दिया था।

दूसरा द‍िन 
भीष्म ने अर्जुन और श्रीकृष्ण को कई बार घायल किया। भीम ने हजारों कलिंग और निषाद मार गिराए। 

तीसरा द‍िन 
भीम और उसका पुत्र घटोत्कच मिलकर दुर्योधन की सेना को भगा देते हैं। भीष्‍म का सामना करने के ल‍िए अर्जुन को श्रीकृष्ण समझाते हैं लेकिन वह नहीं कर पाता। 

चौथा द‍िन 
कौरवों ने अर्जुन को अपने बाणों से ढक दिया, लेक‍िन वह पार पा गया। भीम ने कौरव सेना में हाहाकार मचा द‍िया और 14 कौरव मारे गए थे। 

पांचवां द‍िन 
श्रीकृष्ण के उपदेश के बाद युद्ध की शुरुआत हुई। भीष्म ने पांडव सेना में खलबली मचा दी और सात्यकि को युद्ध से भगा द‍िया। 

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छठा द‍िन 
पांडवों ने मकरव्यूह और कौरवों ने क्रोंचव्यूह के आकार की सेना उतारी। इस बीच कौरवों की क्षति देख दुर्योधन क्रोध‍ित होता रहा। भीष्‍म ने पांडवों की सेना का नुकसान क‍िया। 

सातवां द‍िन 
अर्जुन ने कौरव सेना पर प्रहार क‍िया। धृष्टद्युम्न दुर्योधन को युद्ध में हरा देता है। लेक‍िन अंत में पांडव सेना पर भीष्‍म हावी हो जाते हैं। 

आठवां द‍िन 
घटोत्कच दुर्योधन को अपनी माया से प्रताड़ित करता है। द‍िन के अंत‍िम पहर में भीम के हाथ से 9 और कौरवों का वध होत है। 

नौवां द‍िन 
भीष्‍म अर्जुन को घायल कर देते हैं। कृष्‍ण को अपनी प्रतिज्ञा तोड़कर हथ‍ियार उठाने पड़ते हैं। भीष्‍म पांडवों की सेना को भारी क्षत‍ि पहुंचाते हैं। 

दसवां द‍िन 
भीष्‍म का भीष्‍ण संहार देखकर श्रीकृष्‍ण पांडवों को कहते हैं क‍ि वे उनकी मृत्‍यु का उपाय पूछें। इसके बाद अर्जुन उनको बाणों की शैया पर ल‍िटा देते हैं। हालांक‍ि भीष्‍म प्राण नहीं त्‍यागते। 

ग्‍यारहवां द‍िन 
द्रोण कौरव सेना के नए सेनापति बनाए जाते हैं। कौरवों की युध‍िष्‍ठ‍िर को बंदी बनाने की योजना पर अर्जुन पानी फेर देता है। 

बारहवां द‍िन 
शकुनि और दुर्योधन फ‍िर ये युध‍िष्‍ठ‍िर को बंदी बनाने की योजना बनाते हैं लेक‍िन अर्जुन ऐन मौक पर उनकी चाल असफल कर देता है। 

तेरहवां द‍िन 
इस द‍िन कौरव चक्रव्‍यूह की रचना करते हैं ज‍िसे तोड़ने के लिए युधिष्ठिर भीम आदि को अभिमन्यु के साथ भेजता है। लेक‍िन इस व्‍यूह में अभ‍िमन्‍यु ही प्रवेश कर पाता है। वह अकेला कौरवों के महारथ‍ियों से भ‍िड़ता है और वीरगत‍ि को प्राप्‍त होता है। इस पर अर्जुन अगले ही द‍िन जयद्रथ के वध की प्रतिज्ञा लेते हैं। 

चौदहवां द‍िन 
जयद्रथ को बचाने के लिए द्रोण उसे सेना के पिछले भाग में छिपा देते हैं लेकिन श्रीकृष्ण द्वारा किए गए सूर्यास्त के कारण वह बाहर आ जाता है और अर्जुन के हाथों मारा जाता है। इस द‍िन द्रोण के हाथों द्रुपद और व‍िराट का वध होता है। 

पंद्रहवां द‍िन 
इस दिन पांडव छल से द्रोणाचार्य को अश्वत्थामा की मृत्यु का विश्वास दिला देते हैं। ये अश्वत्थामा एक हाथी होता है ज‍िसे भीम मारते हैं। इससे निराश हो द्रोण समाधि ले लेते हैं। इस दशा में धृष्टद्युम्न द्रोण का सिर काट देता है। 

सोलहवां द‍िन 
दुर्योधन के कहने पर कर्ण को अमोघ शक्ति द्वारा घटोत्कच का वध करना पड़ता है। उसने इस बाण को अर्जुन के ल‍िए रखा होता है। कुंती को द‍िन वचन के चलते वह नकुल और सहदेव को हराने के बावजूद उनका वध नहीं करता। इसी द‍िन भीम के हाथ से दुशासन का वध भी होता है और वह उसकी छाती फाड़कर उसका रक्‍त पीता है। 

सत्रहवां द‍िन 
कर्ण का सामना भीम और युधिष्ठिर से होता है लेक‍िन कुंती को द‍िए वचन की वजह से वह उन्‍हें मारता नहीं। इसके बाद कर्ण और अर्जुन का युद्ध होता है। कर्ण के रथ का पहिया धंसने पर श्रीकृष्ण के इशारे पर अर्जुन द्वारा असहाय अवस्था में कर्ण का वध कर दिया जाता है। इस द‍िन 22 कौरव भी मारे जाते हैं।

अठाहरवां द‍िन 
भीम बचे हुए कौरवों को मार देता है और सहदेव शकुनि। अपनी पराजय मानकर दुर्योधन एक तालाब में छिप जाता है, लेकिन ललकारे जाने पर वह भीम से गदा युद्ध करता है। तब भीम छल से दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करता है, इससे दुर्योधन की मृत्यु हो जाती है। इस तरह पांडव विजयी होते हैं। अश्‍वत्थामा सभी पांचालों, द्रौपदी के पांचों पुत्रों, धृष्टद्युम्न तथा शिखंडी आदि का वध करता है। अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने पर कृष्ण उसे कलियुग के अंत तक कोढ़ी के रूप में जीवित रहने का शाप देते हैं। 

क्‍या हुआ युद्ध के बाद 
महाभारत के युद्ध के बाद कौरवों की तरफ से 3 योद्ध बचे - कृतवर्मा, कृपाचार्य और अश्वत्थामा। जबक‍ि पांडवों की ओर से युयुत्सु, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव, कृष्ण, सात्यकि आदि को मिलाकर 15। युधिष्ठिर ने दोनों ओर के सैनिकों का दाह संस्‍कार व तर्पण क‍िया। इसके बाद राजपाट से वैराग्‍य होने के चलते सभी पांडव ह‍िमालय चले गए और वहीं उनका जीवनकाल पूरा हुआ। 

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