कोरोना काल में बहुत कुछ बदल गया है। धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी इसके अपवाद नहीं। इसी के चलते इस बार प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रामलीला को मुखौटों और पपेट के माध्यम से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर देश-विदेश में में प्रदर्शित किये जाने की तैयारी है। रामलीला को डिजिटल प्लेटफॉर्म में उतारने की पहल काशी घाटवॉक ने की है। उन्होंने इसके लिए हर पात्र के मुखौटे तैयार किये हैं।
काशी घाटवॉक के संयोजक बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट प्रो.वीएन मिश्रा ने बताया कि कोरोना संकट में इस बार भावी पीढ़ी रामलीला से वंचित न रह जाए, इसी लिहाज से पपेट रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। रामलीला समाजिकता की पढ़ाई-लिखाई है। इसके लिए विशेष तैयारी करके, डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से देश-दुनिया में प्रदर्शन की तैयारी की गयी है।
पात्रों के संवाद किए जा रहे डब
उन्होंने बताया कि मुखौटा बनाने वाले कलाकार राजेन्द्र श्रीवास्तव की टीम ने कागज की लुग्दी से बने 12 मुखौटों का सेट तैयार किया है। इसमें राम, रावण, कुंभकरण, मेघनाद, हनुमान जैसे अनेकों पात्र हैं। पात्रों के संवाद डब किये जा रहे हैं जिसे यूट्यूब पर डाला जाएगा। इस तरह मुखौटे अपना संवाद बोलेंगे। 30 सितंबर से 30 अक्टूबर तक रामलीला सोशल मीडिया में प्रसारित किया जाएगा।
2 मिनट का वीडियो हर रोज ट्विटर, फेसबुक, इन्स्टाग्राम पर डाला जाएगा जिसे देश-विदेश में बैठे लोग देख सकेंगे। उन्होंने बताया कि संवाद रियल रहेगा। मुखौटा और पपेट के माध्यम से मंचन किया जाएगा। फिलहाल इसकी रिकॉर्डिग की जा रही है। यह रामलीला रामनगर, तुलसीघाट और चित्रकूट से मिलकर तैयार की गई है। तीनों रामलीला के संवादों को इसमें लिया गया है।
कई देशों में मुखौटों की मांग
मुखौटों के सेट को पूरी दुनिया में भेजा जा रहा है। इन मुखौटों को माध्यम से लोग रामलीला घर पर भी कर सकते हैं और इसके साथ 20 पेज की संवाद की बुकलेट भी दी जाएगी। इन मुखौटों की मांग ब्राजील, अमेरिका, इंग्लैड, थाईलैण्ड जैसे कई और देशों में है।
मुखौटा बनाने वाले राजेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि 4-5 फीट के पपेट बनाए गये हैं। कुछ मुखौटे हैं, जो छड़ी के माध्यम से एक्शन करेंगे। पूरा ऑनलाइन मंचन होगा। इसके लिए डायलॉग और रिहर्सल चल रहा है। इसे विशेषतौर पर बच्चों के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि ऋतु पटेल, प्रिया राय, शोभनाथ और बंदना राय ने संवाद, मुखौटे और पपेट तैयार करने में विशेष योगदान दिया है।
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