Pradosh Vrat Vidhi: प्रदोष व्रत पर करें शिवजी के पंचाक्षर स्तोत्र का इस विधि से पाठ, पूर्ण होगी सारी मनोकामना

Shiv Panchakshar Stotra on Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है। इस दिन यदि शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ विधि पूर्वक मनुष्य कर ले तो उसकी सारी ही कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

Shiv Panchakshar Stotra on Pradosh Vrat, प्रदोष व्रत पर करें शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ
Shiv Panchakshar Stotra on Pradosh Vrat, प्रदोष व्रत पर करें शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ 
मुख्य बातें
  • प्रदोष व्रत पर भगवान शिव के साथ उनके परिवार को भी पूजें
  • इस बार रवि प्रदोष हैं और ये स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है
  • प्रदोष पूजन के बाद मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए

इस बार प्रदोष 27 दिसंबर को है और इस दिन रविवार है। शास्त्रों में रविवार को पड़ने वाले दोष व्रत को स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। रवि प्रदोष करने से मनुष्य की स्वास्थ्य से जुड़ी हर समस्या दूर होती है और जीवन सुखमय होता है।

इस दिन भगवान शिव की पूजा पंचाक्षर स्तोत्र से की करनी चाहिए। माना जाता है कि प्रदोष व्रत में यदि मनुष्य देवी पार्वती और शिवजी की पूजा के बाद विधिवत रूप से शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है तो उसे समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और उसके हर कष्ट दूर होते हैं।  

प्रदोष व्रत के नियमों का पालन करते हुए भगवान गणपति, शिवजी और देवी पार्वती की पूजा कर लें। स्कंद पुराण के अनुसार हर त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा का विधान है।

मान्यता है कि जो भी पूरी श्रद्धा से इस व्रत को करता है और पूरे विधि-विधान से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करता है, उस पर भगवान शिव का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।

इस बार प्रदोष व्रत रविवार को हैं, इसलिए इसे रवि प्रदोष भी कहा जाता है। प्रदोष पूजा के बाद शिव मंदिर में जाएं और वहीं बैठकर शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें।

इस विधि करें स्तोत्र पाठ
शिवालय में जा कर शिवजी की विधिवत पूजन कर लें। उसके बाद जलाभिषेक कर शिवजी की प्रिय चीजें अर्पित करें। इसके बाद सफेद फूलों का हार अर्पित करें। फिर सफेद गोपी चंदन का तिलक लगाने के बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें। फिर भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र  ‘ओम नम: शिवाय’ का 11 माला जाप करें। इसके बाद शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।ं
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे ‘न’ काराय नमः शिवायः।। 

पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और उसे समस्त सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं।

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