Pradosh Vrat 2020: सौभाग्य के लिए इस बार जरूर करें प्रदोष व्रत, जाग जाएगा सोया भाग्य

Pradosh Vrat Vidhi :पुराणों में प्रदोष व्रत का बहुत महात्मय बताया गया है। इस दिन शिवजी के निमित्त व्रत-पूजन करने से मनुष्य का भाग्य खुल जाता है। तो आइए आपको प्रदोष व्रत का महत्व और विधि बताएं।

 Pradosh Vrat Vidhi, प्रदोष व्रत विधि
Pradosh Vrat Vidhi, प्रदोष व्रत विधि 
मुख्य बातें
  • प्रदोष व्रत में शिवजी के साथ नंदी और देवी पार्वती की पूजा जरूर करें।
  • प्रदोष व्रत काल में ही करनी चाहिए भगवान शिव की पूजा।
  • प्रदोष व्रत में नमक का त्याग करना चाहिए।

शुक्रवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला होता है। 27 नवंंबर यानी आज इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। प्रदोष-व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। दिन यानी वार के अनुसार प्रदोष-व्रत के महत्व में और भी अधिक वृद्धि हो जाती है। वार के अनुसार प्रदोष व्रत का नाम भी होता है, सोमवार दिन होने वाला प्रदोष-व्रत सोम प्रदोष, मंगलवार के दिन होने वाला प्रदोष-व्रत भौम प्रदोष व्रत कहलाता है। हर प्रदोष व्रत का वार के अनुसार फल भी मिलता है। प्रदोष व्रत वाले दिन भगवान शिव का षोडषोपचार पूजन करना चाहिए। दिन में केवल फलाहार ग्रहण कर प्रदोषकाल में भगवान शिव का अभिषेक पूजन कर व्रत का पारण करना चाहिए।

इस विधि से करें प्रदोष व्रत

सुबह स्नान के बाद सूर्यास्त के बाद एक बार फिर स्नान कर शिवजी का षोडषोपचार से पूजन करें। इसके बाद नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं और इसके बाद आठों दिशाओं में 8‍ दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें।  फिर नंदीश्वर को जल व दूर्वा चढ़ाने के बाद शिव-पार्वती समेत उनकी पूजा करें। इस दिन नमक का त्याग करना चाहिए।

प्रदोष काल का जानें महत्व

प्रदोष-व्रत में प्रदोषकाल का बहुत महत्व होता है। प्रदोष वाले दिन प्रदोषकाल में ही भगवान शिव की  पूजा करनी चाहिए। प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक रहता है। यानी पूजा सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात तक के बीच कर लेनी चाहिए।

वार के अनुसार जानें प्रदोष व्रत का फल

  1. रविवार के दिन प्रदोष व्रत करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। 
  2. सोमवार को प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है।
  3. मंलवार का प्रदोष व्रत करने से ऋण से मुक्ति मिलती है।
  4. बुधवार का व्रत करने से इष्ट देव की प्राप्ति होती है।
  5. गुरवार का व्रत सफलता दिलाता है।
  6. शुक्रवार का व्रत सौभाग्य दिलाता है।
  7. शनिवार का प्रदोष व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए होता है।

मनुष्य अपनी मनोकामना के अनुसार भी प्रदोष व्रत कर सकता है। हालांकि हर माह प्रदोष व्रत करने से अपने आप सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

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