Rishi Panchami: ऋषि पंचमी का त्योहार इस साल 23 अगस्त को मनाया जा रहा है। ऋषि पंचमी का व्रत भाद्र पद की शुक्ल पंचमी को किया जाता है। आमतौर पर यह व्रत गणेश चतुर्थी के अगले दिन और हरतालिका तीज व्रत के ठीक दूसरे दिन किया जाता है। यह व्रत महिलाओं के लिए अटल सौभाग्यवती व्रत माना जाता है।
इस दिन देवी-देवताओं की पूजा नहीं की जाती है। बल्कि पंचम तिथि को सप्तऋषियों की पूजा की जाती है। शास्त्र सम्मत मान्यताओं के मुताबिक ऋषि पंचमी व्रत शुद्ध मन से करने पर सारे दुख दूर हो जाते हैं और स्त्रियां अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करती है। आइए जानते हैं इसका महत्व, कथा और पूजाविधि।
इस साल ऋषि पंचमी 23 अगस्त, रविवार को मनाई जा रही है। इसका शुभ मुहूर्त सुबह 11:06 मिनट से दोपहर 01:41 मिनट तक रहेगा यानी शुभ मुहूर्त 02 घंटे 36 मिनट का है।
ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखना फलदायी होता है। पौराणिक मान्यता है कि ऋषि पंचमी का व्रत स्त्रियों को करना चाहिए। क्योंकि यह व्रत करने से उनके सभी दुख दूर होते हैं और वह सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त करती हैं। यदि सुहागिन महिलाएं यह व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा स्नान का भी महत्व है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख शांति एवं समृद्धि की कामना से इस व्रत को भक्ति भाव से करती है। इस व्रत में विधि-विधान से पूजा करने के बाद ऋषि पंचमी व्रत कथा सुना जाता है तथा पंडितों को भोजन करवाकर कर व्रत का उघापन किया जाता है। साथ ही अविवाहित स्त्रियों के लिए भी यह व्रत बेहद महत्त्वपूर्ण और फलकारी माना जाता है।
ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Katha):
काफी समय पहले विदर्भ नामक एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहते थे, उनके परिवार में पत्नी, बेटा और एक बेटी थीं। ब्राह्मण ने अपनी बेटी का विवाह एक अच्छे ब्राह्मण कुल में किया लेकिन दुर्भाग्यवश उनके दामाद की अकाल मृत्यु हो गई, जिसके बाद उसकी विधवा बेटी अपने घर वापस आकर रहने लगी। एक दिन मध्यरात्रि में उनकी बेटी के शरीर में कीड़े पड़ने लगे जिसके बाद वो ब्राह्मण अपनी बेटी को एक ऋषि के पास ले गए।
ऋषि ने बताया कि ब्राह्मण की बेटी पिछले जन्म में ब्राह्मणी थी और एक बार उसने रजस्वला होने पर भी घर का काम किया था और बर्तनों को छू लिया थी, इसी के चलते उसके शरीर में कीड़े पड़ गए हैं। शास्त्रों में रजस्वला स्त्री का काम करना वर्जित है लेकिन ब्राह्मण की बेटी ने इसका पालन नहीं किया जिसके कारण इस जन्म में उसे दंड भोगना पड़ रहा है। ऋषि ने आगे कहा कि अगर ब्राह्मण की बेटी श्रद्धा भाव से अगर ऋषि पंचमी का पूजा-व्रत कर भगवान से क्षमा मांगेगी तो उसे पिछले जन्म के पापों से मुक्ति मिल जाएगी। कन्या ने ऋषि के कहे अनुसार विधिविधान से पूजा और व्रत किया जिसके बाद उसपर कृपा हुई और पूर्वजन्म के पापों से छुटकारा मिला। इस प्रकार ऋषि पंचमी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है।
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