Rishi Panchami Vrat Katha: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी का दिन ऋषियों को समर्पित होता है। सप्त ऋषियों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार यह 11 सितंबर यानि आज है। इस दिन दान देने, कथा पढ़ने या सुनने एवं मंत्रों का जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन ऋषि पंचमी के व्रत के दौरान गंगा स्नान कर लें तो उनका फल कई गुना बढ़ जाता है. इससे दुखों से भी छुटकारा मिलता है।
यह हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद पड़ता है।
ऋषि पंचमी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक ब्राह्म्ण अपनी पत्नी के साथ रहता था. उसके एक पुत्र और पुत्री थी. उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह सुयोग्य लड़के के साथ कर दिया, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद उसके पति की अकालमृत्यु हो गई। इसके बाद उसकी पुत्री मायके आ गई। एक दिन उसकी पुत्री अकेले सो रही थी, तभी उसकी मां ने देखा की बेटी के शरीर पर कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं। यह बात उसने अपने ब्राह्म्ण पति को बताई। उत्तक ब्राह्मण ने ध्यान लगाने के बाद देखा कि पूर्वजन्म में उनकी पुत्री ब्राह्मण की पुत्री थी, लेकिन राजस्वला (महामारी) के दौरान उसने पूजा के बर्तन छू लिए थे। इस पाप की वजह से उसे यह कष्ट मिल रहा है। इससे छुटकारा पाने के लिए बेटी ने पिता के कहे अनुसार पंचमी का व्रत किया. इससे उत्तक की बेटी को सौभाग्य की प्राप्ति हुई। यही वजह है कि ऋषि पंचमी का व्रत रखने एवं कथा सुनने से लोगों के कष्ट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।
ऋषि पंचमी के खास मंत्र
ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने के अलावा सुबह स्नान के बाद हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लें। साथ ही सप्त ऋषियों का ध्यान रखते हुए कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।। गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।। मंत्र का जाप कर लें। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलेगी। साथ ही पुण्य की प्राप्ति होगी। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने से भी रोग एवं दोषों से मुक्ति मिलती है।
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