Kamika Ekadashi 2022: कब रखा जाएगा कामिका एकादशी का व्रत, जानें तिथि-पूजा विधि और पौराणिक कथा

Sawan Kamika Ekadashi 2022: सावन माह में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है। इस बार कामिका एकादशी व्रत रविवार 24 जुलाई 2022 को रखा जाएगा।

Sawan Kamika Ekadashi 2022
कामिका एकादशी 
मुख्य बातें
  • पापों से मुक्ति दिलाता है कामिका एकादशी व्रत
  • सावन कामिका एकादशी का होता है विशेष महत्व
  • 24 जुलाई को रखा जाएगा कामिका एकादशी व्रत

Sawan Kamika Ekadashi Vrat 2022: सावन का महीना 14 जुलाई 2022 से शुरू हो चुका है जोकि 12 अगस्त तक रहेगा। सावन भगवान शिवजी का प्रिय माह होता है। सावन महीने में पड़ने वाले सभी पूजा-व्रत का भी खास महत्व होता है। श्रावण या सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। कामिका एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस बार सावन कामिका एकादशी का व्रत 24 जुलाई 2022 को रखा जाएगा। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।

कामिका एकादशी पूजा मुहूर्त

  • एकादशी तिथि आरंभ- शनिवार  23 जुलाई 2022 सुबह 11:27 से
  • एकादशी तिथि समाप्त: रविवार 24 जुलाई 2022 दोपहर 01:45 तक
  •  कामिका एकादशी व्रत- उदयातिथि के अनुसार 24 जुलाई एकादशी का व्रत मान्य होगा
  •  एकादशी व्रत पारण: सोमवार 25 जुलाई 2022 सुबह 05:38 से 08:22

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कामिका एकादशी पूजा विधि

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने। पूजाघर में दीप प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प लें। एक चौकी में पीला कपड़ा बिछाकर इसपर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें। भगवान को फल, फूल, पंचामृत चढ़ाएं और सात्विक चीजों का भोग लगाएं। पूजा में तुलसी दल जरूर चढ़ाएं। क्योंकि इसके बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके बाद कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आखिर में आरती करें।

कामिका एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में वीर छत्रिय रहता था जोकि नेक दिल का व्यक्ति था। लेकिन स्वभाव में बहुत क्रोधित था। इसी कारण आए दिन उसकी किसी ने किसी के साथ हाथापाई हो जाती थी। क्रोधित स्वभाव के कारण ही एक दिन क्षत्रिय की लड़ाई एक ब्राह्मण से हो गई। क्षत्रिय अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर सका और उसने हाथापाई के दौरान एक ब्राह्मण की हत्या कर दी। इस कारण क्षत्रिय पर ब्राह्मण हत्या का दोष लगा।

क्षत्रिय को अपनी गलती का अहसास हुआ और इसका प्रायश्चित करने के लिए उसने ब्राह्मण के दाह संस्कार में शामिल होना चाहा। लेकिन पंडितों ने उसे ब्राह्मण की क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने क्षत्रिय से कहा कि तुम ब्राह्मण की हत्या के दोषी हो। इस कारण उसे धार्मिक और सामाजिक कार्यों से भी बहिष्कार कर दिया गया।

इन सभी कारणों से परेशान होकर क्षत्रिय ने ब्राह्मणों से पूछा कि कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मैं इस दोष से मुक्त हो सकूं। तब ब्राह्मणों ने क्षत्रिय को कामिका एकादशी व्रत के बारे में बताया। पहलवान ने सावन माह की कामिका एकादशी का व्रत रखा और विधि विधान से इसका पालन किया। एक दिन क्षत्रिय को नींद में भगवान श्री हरि विष्णु के दर्शन हुए। भगवान विष्णु ने क्षत्रिय से कहा कि तुम्हें पापों से मुक्ति मिल गई है। इस घटना के बाद से ही कामिका एकादशी का व्रत रखा जाने लगा।

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कामिका एकादशी व्रत कथा का महत्व

कामिका एकादशी की पूजा में कामिका एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुनें। तभी व्रत संपन्न माना जाता है और इसके फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि कामिका एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से वाजपेय यज्ञ के सामन फल की प्राप्ति होती है और इस व्रत रखने से व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिलती है।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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