सावन की शिवरात्रि 19 जुलाई को पड़ेगी और इस दिन शिवजी को प्रश्सन्न करने के लिए भक्त उनकी विशेष पूजा करते हैं। सावन मास में शिवलिंग पर एक लोटा जल और बेलपत्र चढ़ाने भर से संपूर्ण पूजा का पुण्य मिल जाता है। इसलिए सावन की शिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व होता है, लेकिन बेलपत्र तोड़ने और चढ़ाने के कुछ नियम हैं। यदि ये नियम पालन न किए जाएं तो पूजा का लाभ मिलना मुश्किल होता है। कुछ विशेष तिथियों पर महादेव को समर्पित करने के लिए बेलपत्र को तोड़ने की मनाही होती है। इसलिए यह जान लेना जरूरी है कि बेलपत्र चढ़ाने और तोड़ने के नियम क्या हैं।
क्यों है जल और बेल पत्र का इतना महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार जब अमृत मंथन हुआ तो अमृत के साथ विष भी निकला और इस विष के प्रभाव से देवता और असुर डर गए, क्योंकि अमृत तो सब पीना चाहते थे लेकिन विष के ताप को कोई सहने को तैयार नहीं था। तब दोनों ही गण शिव के शरण में पहुंचे। शिव से विष के ताप से निवारण का उपाय मांगा, लेकिन शिव जी ने उस विष का पान कर उसे अपने कंठ में रख लिया। विष के ताप की गर्मी और प्रभाव से बचाव के लिए गण उनको जल देने लगे और औषधि के रूप में बेलपत्र दिया गया। जल से विष की गर्मी शांत हो सके और बेलपत्र की ठंडी तासीर और औषधि प्रभाव से जहर का असर कम हो, इसलिए दोनों ही चीजें उस समय से शिवजी को चढ़ाई जानें लगीं।
ऐसे करें बेलपत्र समर्पित
जानें बेलपत्र तोड़ने के नियम
बेलपत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या के साथ ही संक्रान्ति और सोमवार को नहीं तोड़ना चाहिए। इसे एक दिन पहले तोड़ कर रखलें और इन तिथियों पर शिवजी को चढ़ा दें।
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