शनि से जुड़े दोषों व पापों से मुक्ति पाने के लिए शनिदेव की पूजा की जाती है। इसे शनि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस बार 22 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी। हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। ज्योतिष विद्या के मुताबिक एक आम व्यक्ति को अपने जीवन में कई तरह के संकटों व परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इनसे निपटने का वह रास्ता ढ़ूंढ़ता रहता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शनिदेव की पूजा करने से ये सारे कष्ट व संकट हर जाते हैं।
कौन हैं शनिदेव
माना जाता है शनि जयंती के ही दिन शनि देव का जन्म हुआ था। उन्हें सूर्यदेव व माता छाया की संतान माना जाता है। इनका स्वरुप काला रंग और ये गिद्ध की सवारी करते हैं। मकर और कुंभ राशि के देव शनि कहलाते हैं ये बहुत ही धीमी गति से चलते हैं। कहा जाता है कि शनि जिस किसी पर अपनी टेढ़ी नजर डाल दें उस पर कष्टों का दौर शुरू हो जाता है। शनि की महादशा 19 सालों तक रहती है। लेकिन यही अगर शनि की शुभ दृष्टि किसी पर पड़ जाए तो उसके दिन राजा जैसे बीतने लगते हैं। इसलिए आम तौर पर आपने देखा होगा कि शनि को खुश करने के लिए हर कोई चिंतित रहता है।
शनि को यम, काल, दु:ख, दारिद्र और मंद कहा जाता है। शनि देव का नाम आते ही लोग डरने लगते हैं। ऐसे में शनि देव को हमेशा प्रसन्न रखने की ही कोशिश करते रहना चाहिये। माना जाता है कि शनि की कृपा मिलने पर गरीब भी मालामाल हो जाता है जबकि उनके कुपित होने का अर्थ है हर तरफ से दुख पाना। शास्त्रों में शनि की पूजा के लिए कुछ खास नियम बताए गए हैं।
शनि जयंती पर ऐसे करें पूजा
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