Chanakya Teachings in Hindi: अगर प्राचीन भारत के अर्थशास्त्र व नीतिशास्त्र की बात करें तो आचार्य चाणक्य को कई मायनों में इसका जनक भी कहा जाता है। कौटिल्य की नीतियों के बल पर कई राजा महाराजाओं ने अपना शासन भी चलाया और इन्हीं नीतियों के आधार पर चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट के रूप में स्थापित किया।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में ना सिर्फ जीवन को सुगम बनाने के तरीके बताए बल्कि उन्होंने जीवन में आने वाली चुनौतियों को लेकर भी संकेत दिए। चाणक्य नीति के नाम से लोकप्रिय अपनी संहिता में आचार्य कौटिल्य ने संगति को लेकर विस्तार से बात की है और 3 तरह का स्वभाव रखने वाले लोगों से दूर रहने की भी शिक्षा दी। आइए जानते हैं कौन हैं ये तीन तरह का स्वभाव रखने वाले लोग।
चाणक्य नीति अनुसार घर में काम करने वाला सेवक वफादार होना चाहिए। जो सेवक अपने मालिक को सदा धोखा देने के लिए तैयार रहे और अपने मालिक की दरियादिली का गलत फायदा उठाता है, ऐसे सेवक से बहुत सावधान रहने की जरूरत होती है। ऐसा सेवक कभी भी आपको मुश्किल में डाल सकता है।
चाणक्य नीति के अनुसार पत्नी योग्य और पति की सफलता में योगदान करने वाली हो। जिस व्यक्ति की पत्नी योग्य और कुशल होती है, उसे धरती पर स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है। वहीं जब पत्नी धोखा देने लगे, अपनी जिम्मेदारियों को अनदेखा करें और गलत आचरण करे तो ऐसी पत्नी से सदा सावधान रहने की आवश्यकता है। चाणक्य के अनुसार इस आचरण की पत्नी, मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाली बनती है।
चाणक्य नीति अनुसार मित्र बनाते समय बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। चाणक्य के अनुसार सच्चा मित्र वही है जो संकट के समय आपके साथ खड़ा रहे। जरूरत पड़ने पर उचित सलाह दे। आपके दुख को अपना दुख समझे और यही सच्चे मित्र होने की निशानी है।
ऐसे स्वभाव वाले व्यक्ति को कभी भी अपना मित्र नहीं बनाना चाहिए जो गलत सलाह प्रदान करे, आपसे झूठ बोले और अपने स्वार्थ व हित के लिए गंभीर बना रहे। चाणक्य अनुसार ऐसा मित्र आगे जाकर हानि ही पहुंचाता है और इसलिए ऐसे लोगों से दूर ही रहना उचित होता है।
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