ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान को तीन युग तक रहने का भगवान श्रीराम ने आशीर्वाद दिया था। भगवान हनुमान का पहला युग त्रेतायुग था और उन्हें कलयुग के अंत तक रहना है। यही कारण है कि उन्हें कलयुग का जागृत देवता माना गया है। हनुमान जी को संकटमोचन कहा गया है, क्योंकि वो संटक दूर करने वाले हैं और कष्टों को हरने वाली सारी शक्तियां उन्हें देवताओं से आशीर्वाद स्वरूप मिली हैं। पुराणों में ये बताया गया है हनुमान जी को किन देवता से क्या शक्तियां मिली हैं। तो आइए जानते हैं कि किस देवता से बजरंगबली को क्या आशीर्वाद मिला था।
भगवान सूर्य का वरदान
बजरंगबली को सूर्यदेव से उनकी तेजी मिली है। सूर्यदेव ने अपने तेज का 100वां भाग हनुमान जी को वरदान में दे दिया था। साथ ही सूर्यदेव से उन्हें शस्त्रों का ज्ञान भी मिला है। हनुमान जी ने सूर्यदेव से ही शिक्षा प्राप्त की थी और एक विद्या प्राप्त करने के लिए उन्हांने विवाह भी किया था। सूर्य देव ने वरदान देते हुए कहा बजरंगबली से कहा था कि किसी को भी शास्त्रों का ज्ञान हनुमान जी के समान नहीं होगा। शास्त्र ज्ञान में बजरंगबली ही अव्वल होंगे।
यमराज का वरदान
यमराज ने भी बजरंगबली को वरदान दिया है और ये वरदान था कि वह उनके दंड से हमेशा बचे रहेंगे। यमराज का वरदान शायद ही किसी देवता को मिला हो, लेकिन बजरंबली को वरदान मिल गया।
कुबेर का वरदान
कुबेर जी ने बजरंगबली को जो आशीर्वाद दिया वह बेहद खास है। उन्होंने हनुमान जी को कभी न हारने का वरदान दिया है। यानी हनुमान जी से कोई जीत नहीं सकता।
भगवान शंकर का आशीर्वाद
भगवान शंकर ने हनुमान जी को बहुत ही खास आशीर्वाद दिया। हनुमान जी को शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि उनपर उनके अस्त्र या शस्त्रों का असर नहीं होगा।
विश्वकर्मा ने दिया ये वरदान
भगवान विश्वकर्मा ने बजरंबली को वरदान दिया कि उनके स्वयं के बनाए किसी भी अस्त्र-शस्त्र का असर उन पर नहीं होगा।
देवराज इंद्र का वरदान
देवराज इंद्र ने दिया था कि हनुमान जी अपने वज्र के असर से मुक्त किया था। उन्होंने कहा था कि उनके वज्र से हनुमत हमेशा मुक्त होंगे।
जलदेवता वरुण का वरदान
जलदेवता वरुण ने हनुमान जी की आशीर्वाद दिया था कि जल कभी उनके मार्ग में बाधक नहीं होगा और वह उनकी शक्तियों के आगे कुछ नहीं कर सकेगा। यही कारण था हनुमान जी के समक्ष समुद्र की बड़ी से बड़ी लहरे भी शांत हो गई थीं।
ब्रह्मा जी का वरदान
ब्रह्मदेव जी ने बजरंगबली को वरदान दिया था कि ब्रह्म कें दंडों से हनुमान जी से सदैव दूर रहेंगे। जैसा रूप धारण बजरंगबली धारण करना चाहेंगे वह कर सकेंगे और इस पर बजरंगबली का अपनी इच्छा से नियंत्रण होगा।
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