नई दिल्ली: भगवान गणेश को शास्त्रों में विनायक कहा गया है। विनायक चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के व्रत और भगवान श्री गणेश के ध्यान और पूजा से वे खुश होकर वह आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश हर दुख हर लेते है। वह आपके जीवन की समस्त बाधाओं को हर लेते है। इसलिए उनकी पूजा, व्रत करने से श्रद्धालु,भक्त की समस्त मनोकामना पूर्ण होती है।
भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत 26 मई को है। इस व्रत का मुहूर्त सुबह 10: 59 से लेकर दोपहर 2:45 तक है। यूं तो आप गणपति की पूजा किसी भी समय कर सकते हैं लेकिन पूजा के लिए इस मुहूर्त को शुभ माना गया है। विनायक चतुर्थी के दिन उनकी पूजा दोपहर काल में अमूमन की जाती है।
भगवान गणपति को प्रिय भोग
गणपति जी के भोग में मोदक, लड्डू चढ़ाना चाहिए। उनके भोग में दुर्वा और कुश भी आप चढ़ा सकते हैं जिसे बेहद शुभ माना जाता है।उनके भोग में पीली और सफेद चीजों को ही शामिल करना चाहिए। अन्य रंग के भोग भगवान को बहुत पसंद नहीं होते, ऐसी मान्यता है। भगवान गणेश मोदक के प्रिय हैं लिहाजा मोदक जरूर चढ़ना चाहिए।
क्या है पूजा विधि
क्या है व्रत की विधि
इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न हो कर मनवांछित फल देते हैं और भक्त या व्रती के जीवन की हर परेशानियों को हर लेते हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल