Christmas 2020 : क्‍यों है क्र‍िसमस ट्री सजाने की परंपरा, जानें क्र‍िसमस का इत‍िहास व मनाने का तरीका

क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इतिहास में इस दिन को मनाने की कई रोचक कहानियां दर्ज हैं। जानें क्रिसमस व इससे जुड़ी कहान‍ियों के बारे में।

why christmas is celebrated know history celebrations significance christmas tree origin
why christmas is celebrated know history celebrations significance christmas tree origin  |  तस्वीर साभार: Getty
मुख्य बातें
  • 25 दिसंबर को हुआ था जीसस का जन्म
  • 1510 में पहली बार क्रिसमस ट्री को सजाया गया था
  • 25 दिसंबर के दिन अपने प्रियजनों को तोहफे देने का है रिवाज

क्रिसमस ऐसा त्योहार है जब पूरा परिवार, दोस्त, रिश्तेदार एक साथ होते हैं और खूब मस्‍ती करते हैं। बच्चे अपने गिफ्ट्स को लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं जो उन्हें सांता क्लॉज से मिलने वाला होता है। क्रिसमस के त्योहार में सांता क्लॉज का किरदार अहम होता है। क्रिसमस को मनाने और क्रिसमस नाम के पीछे कई प्रेरणादायक कहानियां हैं।

उन्हीं में से एक है, Eucharist जहां जीसस की मृत्यु हुई थी लेकिन अपने लोगों के लिए वह फिर से जिंदा हो गए थे। इस त्यौहार को सूरज ढलने के बाद और नई सुबह होने से पहले तक मनाया जाता है। यहीं से इसका नाम क्रिसमस पड़ा है। 

कैसे हुई थी क्रिसमस मनाने की शुरुआत? (History of Christmas)

सबसे पहले इस त्यौहार को 336 AD में 25 दिसंबर को एक इसाई धर्म के रोमन शासक ने मनाया था। वह रोमन साम्राज्य का पहला ईसाई राजा था। इसके कई सालों बाद पोप जूलियस | ने यह ऐलान कर दिया था कि 25 दिसंबर को जीसस के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाएगा। 

इतिहास में ऐसी कई कहानियां दर्ज हैं जो इस बात पर जोर देती हैं कि 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस के त्योहार को मनाया जाता है। ईसाई धर्म में यह कहानी मशहूर है कि मैरी यानी जीसस की मां को यह पहले से पता था कि वह एक चमत्कारी बच्चे को जन्म देने वाली है। उसने 25 मार्च को यह ऐलान कर दिया था कि उसके कोख से एक अद्भुत बच्चा जन्म लेगा और उस दिन जश्न मनाया गया था। 25 मार्च से ठीक 9 महीने बाद 25 दिसंबर आता है जिस दिन जीसस का जन्म हुआ था। दुनिया भर में 25 मार्च को भी बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन जीसस की मृत्यु हुई थी। 

25 दिसंबर के दिन विंटर सोल्स्टिस को भी मनाया जाता है जिस दिन सुबह सबसे छोटी और रात सबसे लंबी होती है। इस दिन के बाद से रात छोटी होने लगती है और दिन बड़ा होने लगता है। इतना ही नहीं 25 दिसंबर के दिन प्रारंभिक बुतपरस्त रोमन के त्योहार Saturnalia और Dies Natalis Solis Invicti भी मनाया जाता है।

कैसे शुरू हुआ था क्रिसमस ट्री का प्रचलन? Christmas tree history 

ईसाइयों ने क्रिसमस त्योहार को Saturnalia के साथ जोड़ दिया था और रोमन pagans को लोगों के सामने पेश किया था जिसके बाद Asheira समुदाय के लोगों और उससे जुड़े लोगों को चर्च से क्रिसमस ट्री की पूजा करने के लिए आज्ञा दे दिया गया था। Pagans सालों से क्रिसमस ट्री की पूजा करते आ रहे हैं, वह इन पेड़ों को अपने घर में उगाते हैं और उन्हें इस खास दिन पर सजाते हैं। उनकी तरह इसाई धर्म के लोगों ने भी इस प्रचलन को अपनाया। 

एक रोचक बात जानिए, सबसे पहले क्रिसमस ट्री को 1510 में लातविया के रीगा में सजाया गया था। जर्मनी में सबसे पहले क्रिसमस ट्री को सेब, जिंजरब्रेड, वेफर्स और मिठाइयों के साथ सजाया गया था। क्या आपको पता है कि हर एक देश में तरह-तरह के पेड़ों को क्रिसमस ट्री के तौर पर सजाया जाता है। जैसे न्यूजीलैंड में Pohutakawa नाम के पेड़ को क्रिसमस ट्री के तौर पर सजाया जाता है जिसमें लाल फूल लगे रहते हैं। 

19 के दशक में जर्मनी में सबसे पहले आर्टिफिशियल क्रिसमस ट्री को बनाया गया था। आजकल मार्केट में कई आर्टिफिशियल क्रिसमस ट्री मौजूद हैं जिन्हें पीवीसी से बनाया जाता है। चाइना में भी आर्टिफिशियल क्रिसमस ट्री बनाया जाता है। आपको यह पता होना चाहिए कि असली क्रिसमस ट्री हवा में मौजूद गंदगी और पोलेन को हटाता है। 

कैसे मनाया जाता है क्रिसमस का त्योहार? (How christmas is celebrated)

क्रिसमस का त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां लेकर आता है। इस दिन लोग सच्चे दिल से जीसस को याद करते हैं और चर्च जाते हैं। क्रिसमस के दिन लोग कई धार्मिक काम करते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, अपने प्रियजनों को तोहफे देते हैं। क्रिसमस के त्योहार पर हर जगह खुशियां छाई रहती है और बच्चों के अंदर सांता क्लॉज से गिफ्ट पाने का उत्साह रहता है। 25 दिसंबर के दिन दुनिया भर के चर्च को सजाया जाता है। केक, मिठाई और विशेष व्यंजन बनाकर लोग आपस में खुशियां बांटते हैं और अपने प्रिय जनों के साथ इस दिन को मनाते हैं। 
 

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