काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हजारों साल पुराना इस मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि काशी में बाला भोलेनाथ के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गंगा किनारे यह नगरी भगवान शिव के त्रिशुल पर बसी है। अगर आप काशी में बसने की सोच रहे हैं तो भोलेनाथ और काल भैरव का दर्शन करना न भूलें।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर पुराण की काशी खंड (अनुभाग) सहित अन्य पुराणों में उल्लेख है। धर्मग्रंथों में महाभारत काल से ही इस मंदिर का उल्लेख किया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक इतिहास की किताबों में 11से 15वीं सदी कालखंड में मंदिरों का जिक्र और उसके विध्वंस की बातें भी सामने आती हैं। मोहम्मद तुगलक साल 1325 के समकालीन लेखक जिनप्रभ सूरी ने किताब 'विविध कल्प तीर्थ' में लिखा है कि बाबा विश्वनाथ को देव क्षेत्र कहा जाता था। लेखक फ्यूरर ने भी लिखा है कि फिरोज शाह तुगलक के समय कुछ मंदिर मस्जिद में तब्दील हुए थे। 1460 में वाचस्पति ने अपनी पुस्तक 'तीर्थ चिंतामणि' में वर्णन किया है कि अविमुक्तेश्वर और विशेश्वर एक ही लिंग है।
बाबा विश्वनाथ मंदिर के बारे में कुछ रोचक बातें
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