Mahashivratri 2021: इस मंदिर से शुरू हुई भगवान शिव के लिंग रूप की पूजा, सप्तऋषियों ने की थी तपस्या

महाशिवरात्रि का त्योहार भोलेनाथ बड़े ही धूमधाम से मना रहे हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम में भगवान शिव को समर्पित 124 छोटे-बड़े मंदिर है। जानिए इस मंदिर की कता।

Jageshwar Dham
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मुख्य बातें
  • देशभर में आज महाशिवरात्रि मनाई जा रही है।
  • अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम में भगवान शिव को समर्पित 124 छोटे-बड़े मंदिर है।
  • जागेश्वर धाम को भगवान शिव को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।

मुंबई. देशभर में आज शिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों और श्रद्धालुओ की भीड़ जमा हो रही है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम में भगवान शिव को समर्पित 124 छोटे-बड़े मंदिर है।

जागेश्वर धाम को भगवान शिव को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण में भी मिलता है। जागेश्वर धाम के बारे में कहा जाता है कि यहां सप्तऋषियों ने तपस्या की थी। 

जागेश्वर धाम से ही लिंग के रूप में भगवान शिव की पूजा शुरू हुई थी। खास बात यह है कि यहां भगवान शिव की पूजा बाल यानी तरुण रूप में भी की जाती है।  

मंदिर में है भोलेनाथ का जागृत शिवलिंग
जागेश्वर मंदिर पर भगवान शंकर का एक जागृत शिवलिंग है। ये शिवलिंग द्वादश शिवलिंगों में से एक है। जागेश्वर मन्दिर में पीतल की दो-दो फुट लंबी दो प्रतिमाएं हैं। इनमें एक के हाथ में अखंड ज्योत वाला दीपक है। 

मान्यताओं के अनुसार जाश्वर मंदिर में मांगी गई मन्नतें उसी रूप में स्वीकार हो जाती थीं। इसका भारी दुरुपयोग होने लगा। आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य यहां आए और उसके बाद यहां सिर्फ यज्ञ एवं अनुष्ठान से मंगलकारी मनोकामनाएं ही पूरी हो सकती हैं। 

मान्यता के अनुसार गुरु आदि शंकराचार्य ने केदारनाथ के लिए प्रस्थान करने से पहले जागेश्वर के दर्शन किए। आदि शंकराचार्य यहां कई मंदिरों का जीर्णोद्धार और पुन: स्थापना भी की थी।   

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