उत्तराखंड के इस रहस्यमय मंदिर में महाकाली करती हैं विश्राम, आर्मी के जवान भी टेकते हैं माथा

धार्मिक स्‍थल
Updated Nov 09, 2019 | 11:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Haatkalika Mandir Uttarakhand: उत्तराखंड राज्य का 9 नवंबर को स्थापना दिवस है। देवभूमि उत्तराखंड का हाटकालिका मंदिर अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए हैं। जानिए महाकाली के रहस्यमय मंदिर के बारे में...

Haatkalika Mandir
Haatkalika Mandir 
मुख्य बातें
  • 9 नवंबर 2000 को भारत का 27वां राज्य उत्तराखंड अस्तित्व में आया था।
  • हाट कालिका महाशक्ति पीठ धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं।
  • स्कंदपुराण के मानस खंड में यहां स्थित देवी का वर्णन भी मिलता है।

नई दिल्ली. उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है। आज यानी 9 नवंबर 2000 को भारत का ये 27वां राज्य अस्तित्व में आया था। उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, जागेश्वर धाम जैसे शक्तिपीठ, तीर्थस्थल और ज्योतिर्लिंग हैं। वहीं, इस राज्य में स्थित कई मंदिर अपने आप में कई रहस्य को समेटे हुए हैं। पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट स्थित हाट कालिका ऐसा ही एक मंदिर है। 

देवदार के पेड़ों से चारों तरफ घिरे हुआ हाट कालिका महाशक्ति पीठ धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। स्कंदपुराण के मानस खंड में यहां स्थित देवी का वर्णन भी मिलता है। मान्यताओं के अनुसार खुद मां काली यहां प्रकट होती है। 

एक प्रसिद्व किवदन्ति के मुताबिक कालिका का रात में डोला चलता है। इस डोले के साथ कालिका के गण, आंण व बांण की सेना भी चलती हैं। मान्यता के मुताबिक अगर कोई इस डोले को छू ले तो उसे दिव्य वरदान की प्राप्ति भी होती है।

 

 

मां काली करती हैं विश्राम 
हाटकालिका मंदिर पर ये भी मान्यता है कि यहां मां काली विश्राम करती हैं। शक्तिपीठ के पास ही महाकाली का बिस्तर लगाया जाता है। सुबह इस बिस्तर पर सिलवटें पड़ी होती है, जो ये संकेत देती है कि यहां पर किसी ने विश्राम किया है। 

महाकाली के इस मंदिर में सहस्त्र चण्डी यज्ञ, सहस्रघट पूजा, शतचंडी महायज्ञ, अष्टबलि अठवार का पूजन समय-समय पर आयोजित होता है। इसके अलावा महाकाली के चरणों पर श्रद्धापुष्प अर्पित करने से रोग, शोक और दरिद्रता भी दूर होती है। 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
This picture of Haat Kalika Temple was taken when we were on our trip to explore Kumaon region. Haat Kalika Temple is located at the Gangolihaat in Pithoragarh District. It is surrounded by the dense and beautiful deodar forests. It is a must visit place for the devotees of Kalika Mata. According to the locals, it is believed that the goddess Kalika Mata of west Bengal shifted her abode from West Bengal to Gangolihaat. Haat Kalika temple was chosen by Adi Guru Shankaracharya for the installation of one of the Shakti Peethas. This temple is very famous among the Indian Armed Forces specially Kumaon Regiment. The goddess Mahakali is the designated goddess or “Isht Devi” of the Kumaon Regiment. You can see many gates with the name of different regiments and the serving officers of the Indian Army who contributes in the construction of these gates. On the Ashtami of the Hindu month Chaitra and Bhado, a big fair held in the temple. On this day animals are sacrificed to the goddess. . . . . #uttarakhand #uttarakhandtourism #incredibleindia #hillstation #uttrakhand #northindia #hippieinhills #exploreindia #himalayas #travelindia #himalaya #indiahikes #indiatravel #indiatourism #indiatravelgram #incredibleindiaofficial #lonelyplanetindia #indiaclicks #indiagram #beautifulindia #storiesofindia #northindiatrip #thepioneerofthenorth #haatkalika #pithoragarh #goddessdurga #temple A post shared by The Pioneer of The North (@thepioneerofthenorth0822) on

 

कुमाऊं रेजिमेंट की हैं अराध्य देवी
महाकाली इंडियन आर्मी की कमाऊं रेजिमेंट की भी आरध्य देवी है। कुमाऊं रेजिमेंट के जवान युद्ध या मिशन में जाने से पहले इस मंदिर के दर्शन करते हैं। इस मंदिर के धर्मशालाओं में किसी न किसी आर्मी अफसर का नाम मिल जाएगा। 

1971 में पाकिस्तान के साथ साल  छिड़ी जंग के बाद भी कुमाऊं रेजीमेंट ने गंगोलीहाट के निवासी सूबेदार शेर सिंह के नेतृत्व में महाकाली की मूर्ति की स्थापना की थी। ये सेना द्वारा स्थापित यह पहली मूर्ति है। इसके बाद कुमाऊं रेजिमेंट ने साल 1994 में बड़ी मूर्ति चढ़ाई थी। 

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