नई दिल्ली. दिल्ली के एनसीआर में बसा गाजियाबाद का दूधेश्वर नाथ मंदिर बहुत ही पुराना मंदिर है। इस मंदिर में लोगों की हमेशा भीड़ हमेशा लगी रहती है। ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है।
दूधेश्वर नाथ का यह मंदिर रावण के काल से जुड़ा माना जाता है। इस मंदिर को छत्रपति शिवाजी ने बनवाया था। हमारे पुराण में भी दूधेश्वर नाथ मंदिर का वर्णन किया गया है। उसमें बताया गया है कि पुलस्त्य के पुत्र एवं रावण के पिता विश्रवा और रावण ने भी यहां घोर तपस्या की थी।
इस मंदिर के बारे में अनेकों का कथाएं कहीं जाती हैं, जिनमें से एक कथा गाय की भी है। जब इस गांव के पास ही रहने वाले कैला की गाय यहां घास चरने के लिए आती थी। इस किले के ऊपर पहुंचते है गाय के थन से अचानक दूध गिरना शुरू हो जाता था।
खुदाई में मिला शिवलिंग
गांव वालों ने इस घटना को सुनकर उस मंदिर किले के सामने खुदाई की, तो वहां खुदाई के दौरान एक शिवलिंग मिला, गाय के दूध से वह शिवलिंग हर बार घुल जाता था। इसलिए उस शिवलिंग का नाम दूधेश्वर नाथ पर गया।
दूसरी कहानी के अनुसार यह पहले एक सुरंग थी, जो कि रावण के गांव बिसरख और हिंडन पर निकलती थी। लेकिन समय के साथ-साथ यह सुरंग दबते चली गई।
लाखों की तादात में आती है भीड़
मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर में जो भी शिवलिंग के आगे अपना सर झुकाता है, उसकी हर मुरादें त्रिलोकीनाथ पूर्ण करते है। महाशिवरात्रि में इस मंदिर में भक्तों की लाखों तादात में भीड़ लग जाती है।
इस मंदिर की व्यवस्था को बनाएं रखने के लिए पुलिस की सुरक्षा हमेशा तैनात रहती है। यदि आप गाजियाबाद जाने का सोच रहे हो, तो दूधेश्वर नाथ का दर्शन एक बार जरूर कर के आए। यकीन मानिए इनके दर्शन मात्र से ही आपकी हर मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी।
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