मुंबई: हिंदू धर्म या दूसरे शब्दों में कहें तो भारत की सनातन संस्कृति में सोमवती अमावस्या को अहम दिन माना गया है जिसका लोगों के जीवन पर अहम प्रभाव पड़ता है। यह संभावनाओं से भरा हुआ दिन है और अगर इस दिन कुछ उपाय करके अनुष्ठान को सही ढंग से किया जाए तो जीवन में अलग-अलग तरह की समस्याओं का अंत हो सकता है। भले यह धन से जुड़ी समस्य हो या कई अन्य चीजें।
इस बार अप्रैल 2021 में सोमवती अमावस्या का मुहूर्त 11 अप्रैल से 12 अप्रैल के बीच है। कई जगहों पर यह दूसरे दिन यानी 12 अप्रैल को आज मनाई जा रही है। आइए एक नजर डालते हैं सोमवती अमावस्या के दिन किए जाने वाले कुछ उपायों (Somvati Amavasya Upay in Hindi) पर।
हजार गोदान जितने पुण्य की प्राप्ति:
अगर ज्योतिषशास्त्र की मानें तो सोमवती अमावस्या के दिन कोई इंसान मौन रहे और सुबह सुबह स्नान करके इस अनुष्ठान का पालन करे तो उसे हजार गोदान का फल प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त अगर पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु का पूजन भी किया जाए तो जीवन के सभी संकट और बाधाएं दूर हो जाते हैं। पीपल के पूजन के दौरान 108 परिक्रमाएं करना उत्तम होगा और फिर अपने जीवन की समस्या के बारे में सोचते हुए उसे दूर करने के लिए आशीर्वाद मांगें।
नौकरी संबंधी समस्या:
ज्योतिष में व्यवसाय और नौकरी संबंधी परेशानी होने पर सोमवती अमावस्या को क्या करना चाहिए इस बात का भी उल्लेख किया गया है। मान्यता के अनुसार ओंकार मंत्र का जाप करना इस दिन अत्यंत फलदायक होता है और इससे मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति भी होती है। उपाय के तौर पर रोटी पर तिल का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाने से भी करियर से जुड़ी बाधाएं दूर हो सकती हैं।
तुलसी से जुड़ा उपाय:
अगर बहुत प्रयासों के बाद भी किसी व्यक्ति के जीवन में धन का संचय नहीं हो पा रहा है और हमेशा परेशानी बनी रहती है तो कहीं ना कहीं धन का खर्च लगा रहता है तो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार तुलसी मां की पूजा से यह परेशानी दूर हो सकती है। तुलसी के पौधे पर पूरी श्रद्धा से जल और फूल सुबह स्नान करने के बाद अर्पित करें।
आर्थिक संपन्नता के लिए उपाय:
संतान को चिरंजीवी बनाना हो या फिर भौतिक जीवन को धन धान्य से भरना हो, इसके लिए सोमवती अमावस्या का एक उपाय है। पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा के बारे में ऊपर बताया गया था और इसी दौरान अगर 108 बार सूत के धागे को भी परिक्रमा करते हुए पीपल में लपेटते जाएं और साथ ही 108 फल पवित्र पीपल वृक्ष को अर्पित करके पूजा के बाद इसे ब्राम्हण और बच्चों में बांट दें।
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