Lord Ganesh vrat Katha: विघ्नहर्ता गणेश को बुद्धि, विवेक और धन का स्वामी कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और जीवन के सभी दुख दर्द दूर होने के साथ शुभता का वास होता है। भगवान गणेश अपने भक्तों की जिंदगी में आई हुई विपदा को हमेशा के लिए दूर करते हैं और लंबे समय से रुके हुए शुभ कार्यों को संपन्न करते हैं। किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेश जी की आरती की जाती है और बिना गणेश जी की कथा कहे कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है।
आज हम आपके लिए गणेश जी की कथा लेकर आए हैं जो हर एक पूजा में सुना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक गांव में एक विधवा अपनी बहू के साथ रहती थी। उसकी बहू मंद बुद्धि थी जो अपनी भूख बर्दाश्त नहीं कर पाती थी और हमेशा खाने के लिए उतारू रहती थी। वह सबसे पहले उठकर खाना खाती थी फिर घर के बाकी काम किया करती थी। एक दिन विधवा ने अपने घर में पूजा करवाने का सोचा लेकिन वह थोड़ी परेशान थी क्योंकि उसकी बहू अगली सुबह उठते ही खाने के लिए दौड़ेगी और पूजा के लिए बनाए गए पकवान को झुठा कर देगी।
अपनी बहू को पूजा के लिए बनाए गए पकवान से दूर रखने के लिए विधवा ने एक तरीका निकाला। पूजा वाली सुबह उसने एक मटका लिया और उसके नीचे एक छेद कर दिया और अपनी बहू से बोली कि आज पूजा है इसीलिए खाना खाने से पहले पानी भर के ले आओ। बहू भी चालाक निकली, उसने देख लिया था कि विधवा ने मटके के नीचे छेद कर दिया है इसीलिए वह अपने साड़ी में आटा बांधकर पनघट पर चली गई। वहां उसने आटा निकाला और कुएं के पानी के मदद से बाटियां बनाने लग गई। कुएं के पास ही एक श्मशान घाट था जहां चिता जलाई जा रही थी, बहू ने उसकी आंच में अपनी बाटियां सेक लीं। उसकी बाटियां सुखी थी तो वह पास में ही गणेश जी के मंदिर चली गई जहां गणेश जी को किसी ने चोला चढ़ाया हुआ था।
उसने देखा कि गणेश जी की तोंद पर घी लगा हुआ है, उसने उस घी को अपनी बाटि पर लगा लिया और उसका भोग गणेश जी को लगाकर वह बाटी खा ली और घर वापस चली गई। बहू की इस हरकत पर गणेश जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गुस्से में अपने नाक पर उंगली चढ़ा लिया। जब गांव वालों ने देखा कि गणेश जी ने अपने नाक के ऊपर उंगली चढ़ा लिया है तो उन्हें मनाने के लिए बहुत जद्दोजहद किया गया लेकिन गणेश जी ने अपनी उंगली वापस नहीं उतारी। जब यह बात राजा को पता चली तो राजा ने बड़े-बड़े पंडितों और ज्योतिषियों को बुलवाया और हवन करवाया लेकिन गणेश जी फिर भी नहीं माने।
सब बहुत चिंतित थे, राजा ने पूरे गांव में यह एलान करवा दिया कि जो भी इंसान गणेश जी की नाक पर से उंगली हटाने में सफल होगा उसे इनाम के तौर पर 5 गांव दिया जाएगा। गांव के सभी लोग गणेश जी को मनाने में लग गए लेकिन गणेश जी माने ही नहीं और अपनी उंगली चढ़ाए रखे। अंत में विधवा की बहू बोली कि अगर सब उसे आज्ञा दें तो वह गणेश जी की उंगली हटा सकती है, उसकी बात सुनकर विधवा हंसने लगी और बोली कि जब बड़े-बड़े विद्वान कुछ नहीं कर पाए तो वह कैसे गणेश जी को मना पाएगी।
किसी ने बोला कि जब सब लोगों को मौका मिला तो उसे भी एक मौका मिलना चाहिए फिर सभी लोग बहू को एक मौका देने के लिए मान गए। लेकिन बहू ने एक शर्त रखी उसने कहा कि उसके घर से लेकर मंदिर तक पर्दा बांधा जाए। सब लोगों ने सोचा कि इतना कुछ तो हो ही चुका है तो पर्दा बांधने में क्या जाता है। बहू के कहे अनुसार उसके घर से लेकर मंदिर तक परदा लगाया गया। बहू ने अपना दिमाग लगाया और वह अपने पेटिकोट में मोगरी छिपाकर मंदिर चली गई।
मंदिर जाकर उसने गणेश जी से बोला कि मैंने आपके तोंद से जरा सा घी क्या ले लिया आपने अपने नाक पर उंगली चढ़ा ली, अब नाक पर से उंगली हटा रहे हो या दूं एक मोगरी कि अभी आपके टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। बहू की यह चेतावनी सुनकर गणेश जी थोड़ा डर गए और उन्होंने सोचा कि यह तो पूरी पागल है कहीं सच में यह मुझे मोगरी ना मार दे। गणेश जी ने बिना सोचे समझे अपनी नाक पर से उंगली हटा ली जिसे देखकर गांव वासी खुश हो गए और बहू का जयकारा करने लगे। राजा के ऐलान के मुताबिक बहू को 5 गांव इनाम में दिए गए। यह कथा सुनकर लोग गणेश भगवान से यह मांगते हैं कि वह भी उस बहू की तरह सबकी बात मान जाए और उनकी मनोकामना पूरी कर दें।
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