प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी व्रत रखा जाता है, लेकिन पौष मास की संकष्टी का महत्व कुछ ज्यादा ही होता है। शनिवार 2 जनवरी यानी आज संकष्टी से साल की शुरुआत हो रही है, इसलिए गणपति जी का आशीर्वाद मिलना सौभाग्य की बात है। संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणपति की पूजा से मनुष्य के हर संकट दूर होते हैं और उसके लिए सौभाग्य का रास्ता खुलता है। गणपति जी की पूजा से मनुष्य को विद्या, धन, सुख-शांति की प्राप्ति के साथ ही सभी प्रकार के रोगों से भी मुक्ति मिलती है। भगवान श्रीगणेश सभी दुखों को दूर करने वाले माने गए हैं। संकष्टी के दिन यदि आप श्रीगणेश के 12 नाम की स्तुति विधिवत कर लें तो आपकी सारी ही कामनाएं पूर्ण हो सकेंगी। इसे गणेश द्वादश नाम स्तोत्र भी कहते हैं।
भगवान श्रीगणेश सभी दुखों को दूर करने वाले हैं। इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। श्रीगणेश की उपासना के लिए अनेक मंत्र और स्तुतियों की रचना की गई हैं। उन्हीं में से एक है, गणेश द्वादश नाम स्तोत्र। इस स्त्रोत का विधि-विधान से जाप किया जाए तो हर समस्या का निराकरण हो सकता है। तो चलिए जानें, कैसे करें स्त्रोत और इसकी साधना।
गणेश द्वादश नाम स्तोत्र
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥
12 नाम के जाप और इसका महत्व
1.सुमुख 2.एकदन्त 3.कपिल 4.गजकर्ण 5.लम्बोदर 6.विकट 7.विघ्ननाश 8.विनायक 9.धूम्रकेतु 10.गणाध्यक्ष 11.भालचन्द्र 12.गजानन। माना जाता है कि इन 12 नाम के जाप या श्रवण करने भर से मुनष्य को छह पुण्यलाभ प्राप्त होते है। इन नामों के जाप से विद्या, विवाह, गृह, संकट मुक्ति, दुश्मनों से मुक्ति के साथ ही धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
जानें, किस तरह से करें इस स्तुति का पाठ
सुबह स्नान आदि से निवृत होकर भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष पूर्व या उत्तर की तरफ मुख कर आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद गणपति जी के समक्ष दीपक जलाकर उन्हें चंदन,पुष्प,धूप-दीप और नैवेध अर्पित करें। इसके बाद प्रभु के समक्ष बैठकर ही द्वादश नाम का पाठ करें।
श्रीगणेश गणेश द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करने से आपकी हर समस्या का समाधान हो सकता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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