पति-पत्नी के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए इस हिन्दू धर्म में अशून्य शयन व्रत का बड़ा महत्व है। यह व्रत महिलाएं नहीं बल्कि पुरुष रखते हैं। इस व्रत को करने से स्त्री वैधव्य तथा पुरुष विधुर होने के पाप से मुक्त हो जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी हमेशा रहती हैं। दोनों ही दैवीय शक्ति को एक आदर्श जोड़ी माना जाता है। इनको आदर्श मान इनकी पूजा करने वाले जातक के दांपत्य जीवन में कभी खटास नहीं आती है।
इस व्रत को करने से घर में शांति रहती है। अशून्य शयन व्रत का उल्लेख विष्णुधर्मोत्तर के पृष्ठ- 71, मत्स्य पुराण के पृष्ठ- 2 से 20 तक, पद्मपुराण के पृष्ठ-24, विष्णुपुराण के पृष्ठ- 1 से 19 आदि में मिलता है। जिस तरह स्त्री को पुरुष की जरूरत होती है, उतनी ही जरूरत पुरुष को भी स्त्री की होती है। इसलिये यह व्रत करना पूरी तरह से वाजिम है।
अशून्य शयन व्रत की पूजा विधि
आज के दिन इस व्रत में शाम के समय चांद निकलने के बाद अक्षत, दही और फलों से अर्घ्य दिया जाता है और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
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