बुद्ध पूर्णिमा हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों का ही एक बड़ा त्योहार है। इस दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन बुद्ध जयंती और वेसाक उत्सव भी मनाया जाता था। क्योंकि भगवान बुद्ध को श्री हरि विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है इसलिए इस दिन हिंदू भी इस दिन को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्य विनायक पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। इसी दिन भगवान बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी और यही उनका निर्वाण दिवस भी है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा आज यानी गुरुवार 7 मई को मनायी जा रही है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था। हिन्दुओं के अलावा बौद्ध धर्म के लोग इस दिन को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं और इस दिन केवल देश ही नहीं विदेशों में भी बुद्ध जयंती को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है। साथ ही बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है। साथ ही बोधिवृक्ष को भी रंगीन पताकाओं से सजाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। बोधिवृक्ष के जड़ों में दूध और सुगंधित पानी डाला जाता है और वृक्ष के चारों ओर दीपक जलाए जाते हैं।
जानें, बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं
बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए
सूर्य उगने के साथ घर की साफ-सफाई कर दें। इसके बाद किसी पवित्र नदी में स्नान करें अथवा नहाने के जल में गंगा जल मिला लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और दीप जलाएं। घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक जरूर बनाना चाहिए। मन में स्मरण कर बोधिवृक्ष को जल चढ़ाएं और दीपदान करें। इस दिन गरीबों को भोजन और कपड़े दान करने का विशेष पुण्य मिलता है। रात के समय चंद्रमा को जल अर्पित जरूर करना चाहिए।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बिलकुल ना करें ये काम
बुद्ध पूर्णिमा के दिन सात्विक भोजन करें और हो सके तो उपवास रखें। मांस-मछली या तामसिक भोजन न करें। घर में सुख और शांति रखें। कलह से बचें और किसी को अपशब्द न बोलें। झूठ और पाप से बचें।
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