Diwali 2019: इस दिवाली दो अमावस्या का योग, ऐसे करें पूजा, मां लक्ष्‍मी भर देंगी झोली 

व्रत-त्‍यौहार
Updated Oct 20, 2019 | 15:26 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है। इस बार दिवाली पर दो अमावस्या का योग बन रहा है। 

Diwali 2019:
Diwali 2019: 
मुख्य बातें
  • इस साल देशभर में दीपावली का पर्व 27 अक्‍टूबर को मनाया जाएगा
  • हिन्दू पंचाग के अनुसार कई वर्षों के बाद इस बार दीपावली में दो अमावस्‍या पड़ रही हैं
  • ऐसा होने पर मां लक्ष्‍मी की असीम कृपा बरसती है

इस साल देशभर में दीपावली का पर्व 27 अक्‍टूबर को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान राम के साथ ही माता लक्ष्‍मी और गणेश जी की भी पूजा की जाती है। प्रति वर्ष दिवाली का पर्व अमावस्या के दिन पड़ता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार कई वर्षों के बाद इस बार दीपावली में दो अमावस्‍या पड़ रही हैं। दीपावली पांच दिवसीय त्‍योहार है जो कि 25 अक्‍टूबर से शुरू होगी। 

ज्योतिषियों के मुताबिक इस दिवाली में दो अमावस्या का पड़ना बेहद शुभ माना जा रहा है। ऐसा होने पर मां लक्ष्‍मी की असीम कृपा बरसती है। घर में धन-धान्‍य आने के अलावा पति की उम्र भी बंढती है। हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है। 

27 अक्टूबर को अमावस्या तिथि 11.30 बजे से ही प्रारम्भ हो जाएगी, जो कि अलगे दिन सुबह 9.23 बजे तक रहेगी। आयुष्यमान और सौभाग्य योग रहेगा। ऐसे में दीपावली, चतुर्दशी तिथि से लगी हुई अमावस्या को मनाई जाएगी। इस कारण उदया तिथि के अनुसार दीपावली का त्योहार नहीं मनाया जाएगा। दीपावली के दूसरे दिन यानि की सोमवार को उदया तिथि होगी जो कि अमावस्या पड़ने की वजह से महत्वपूर्ण है। 

दिवाली की पूजा विधि

  • दिवाली पूजन में सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद गणपति को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें।
  • इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें। मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें। 
  • मूर्ति में मां लक्ष्मी का आवाहन करें। 
  • हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं।
  • अब लक्ष्मी जी को स्नान कराएं। स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं। 
  • उन्हें वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं। 
  • इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं। 
  • अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें। 
  • इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें। 
  • 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें। 
  • आरती के बाद परिक्रमा करें। अब उन्हें भोग लगाएं।

दीपावली की रात्रि में सोना नहीं चाहिए। पूरी रात्रि माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना कीजिये। 

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