Diwali Sweets: जहर बन सकती हैं दिवाली की मिलावटी मिठाइयां, घर बैठे ऐसे करें पहचान

हेल्थ
Updated Oct 15, 2019 | 16:45 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

मिठाइयों के बिना त्योहार (festival) त्योहार नहीं लगता, लेकिन मिठाइयां मिलावटी (adulteration of sweets) हों तो त्योहार का मजा ही किरकिरा हो जाता है। 

Diwali Sweets
Diwali Sweets  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • मिलावटी मिठाइयों की पहचान होती है आसान
  • मावा में आयोडिन मिला कर पहचान करें
  • एल्युमीनियम वर्क हाथ में आसानी से लगता है

काजू की बर्फी, मोतीचूर के लड्डू या चमकीली मिठाईयों को देख कर आपके मुंह में भी पानी जरूर आता होगा। त्योहार तो मिठाइयों के लिए ही जाने भी जाते हैं। मिठाई के देन-लेन का चलन भी खूब होता है। मार्केट में शॉप में ही नहीं शॉप्स के बाहर तक मिठाइयों कि दुकाने सजी रहती हैं। ऐसे में भला मनभावन इन मिठाइयों को कोई खाने से कैसे बच सकता है, लेकिन यही ये वे मिठाइयां भी होती हैं जो आपके त्योहार ही नहीं सेहत की भी बैंड बजा देती हैं।

त्योहार नजदीक आते ही सबसे ज्यादा मिलावट इन्हीं मिठाइयों में होती है। मांग के अनुसार मिठाइयों को बनाने के लिए नकली मेवे ही नहीं नकली दूध आदि का प्रयोग तो होता ही है, मिठाइयों को चमकदार और चटकीला बनाने के लिए हानिकारक रंग और ऐसेंस का उपयोग भी खूब होता है। ऐसे में जरूरी है कि आप मिठाइयों कि मिलावट को खुद पहचान सकें। कैसे? आइएं जानें।

 

 

मिठाइयों में मिलावट की जाँच करने के सरल तरीके

  1. ज्यादातर मिठाइयों पर सिल्वर वर्क (सिल्वर कवरिंग) होता है। जबकि ये असल में सिल्वर न होकर एल्यूमीनियम का वर्क होता है। इसे खाने से पेट में गंभीर संक्रमण हो सकता है। इसकी जांच के लिए आप मिठाई के ऊपर अपनी उंगली से हल्के से अगर यह आपकी उंगली पर चिपक कर आता है तो संभव है यह सिल्वर नहीं एल्यूमीनियम है। मिलावटी बर्क को जलाने से वह स्लेटी रंग का जला हुआ कागज बनता है जबकि सिल्वर जलाने पर एक गोल बॉल जैसा।
  2. बासी मिठाई की महक ही उसकी पहचान होती है। उसे महक कर देखें अगर वह तीखी गंध या हल्की खट्टास लिए हो तो उसे न लें। ये पुरानी हो सकती है।
  3. पनीर, खोया और दूध जैसे खाद्य पदार्थों में स्टार्च की मिलावट की जाती है। मिठाइयों को गाढ़ा और रिच लुक देने के लिए किया जाता है। इसकी जांच के लिए एक छोटा सा टुकड़ा लें और इसे पानी के साथ मिलाएं और उबाल लें। इसे ठंडा होने दें और घोल में आयोडीन की दो बूंदें डालें। यदि वह नीला हो जाता है तो इसे स्टार्च के साथ अन्य मिलावट भी की गई है।
  4. दूध में पानी है या नहीं, इसकी जांच के लिए एक बूंद को जमीन पर डाले। यदि दूध शुद्ध है, तो यह धीरे-धीरे बहेगा और इसके पीछे एक सफेद निशान छोड़ देगा, जबकि पानी वाला दूध निशान छोड़ने के बिना तुरंत बह जाएगा।
  5. घी को चेक करने के लिए सबसे सरल तरीकों में से एक है, पैन में एक चम्मच गर्म करना है। अगर घी तुरंत पिघल जाए और गहरे भूरे रंग में बदल जाए तो यह शुद्ध घी है। यदि यह पिघलने और पीले होने में समय लगता है तो इसमें मिलावट की गई है। आप अपनी हथेली पर थोड़ा घी डाल कर भी इसे चेक कर सकते हैं। शुद्ध घी हाथ पर डालते ही पिघलने लगता है जबकी नकली घी नहीं
  6. मिलावटी खोये की पहचान के लिए फिल्टर पर आयोडीन की दो से तीन बूंदें डालिए। अगर यह काला पड़ जाता है तो इसका मतलब ये मिलावटी है।
  7.  दूध में यूरिया की जांच के लिए एक परखनली में थोड़ा दूध लेकर उसमें आधा चम्मच सोयाबीन या हरड़ पाउडर मिलाकर हिलाएं, फिर इसे पांच मिनट के लिए रख दें। इसके बाद इसमें एक लाल लिटमस पेपर डुबाने पर पेपर का रंग लाल से नीला हो जाए तो दूध में यूरिया की मिलावट मानी जाती है। लाल लिटमस पेपर स्टेशनरी की दुकान से मिल जाता है।

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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सही मिठाई कैसे खरीदें?
किसी भी पैक्ड मिठाई, चॉकलेट, कुकीज, स्नैक्स लेते समय आप एफएसएसएआई लोगो और लाइसेंस नंबर जरूर चेक करें।
एक्सपायरी डेट', बैच/लॉट नंबर, अवयवों की सूची, पोषण संबंधी जानकारी भी विस्तार से चेक करें।
यदि आप मावा आदि खरीद रहे तो आप एफएसएसएआई लाइसेंस वालों से ही इसे खरीदें, क्योंकि इनकी जांच समय-समय पर होती रहती है।

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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मिलावटी मिठाई से हो सकता है ये खतरा 
जिन खाद्य पदार्थों में संतृप्त वसा होती है उन्हें खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। रक्त में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही मस्तिष्क और हड्डी की बीमारी शरीर में एल्यूमीनियम के उच्च स्तर होने से ही होती है। मिलावटी मिठाईयां बच्चों में किडनी की बीमारी का खतरा पैदा करती है। हानिकारक खाद्य रंग एलर्जी के लिए जिम्मेदार होते हैं।

इसलिए अपनी पसंदीदा मिठाइयों को लेने से पहले कुछ जांच आप स्वयं कर लें और त्योहर के साथ सेहत भी चंगी रखें।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।
 

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