Ganadhipa Sankashti Chaturthi : गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर श्री गणेश का करें पूजन, जानें चांद न‍िकलने का समय

Ganadhip Sankashti Chaturthi: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी गणेश चतुर्थी व्रत गुरुवार 3 दिसंबर को है। यह व्रत हर तरह की सफलता प्रदान करने वाला माना गया है। चतुर्थी तिथि का शास्त्रों में महत्व बहुत अधिक माना गया है।

Ganadhip Sankashti Chaturthi,गणाधिप संकष्टी
Ganadhip Sankashti Chaturthi,गणाधिप संकष्टी 
मुख्य बातें
  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी सफलता प्रदान करने वाली मानी गई है
  • गणेश स्तुति का पाठ इस दिन जरूर करना चाहिए
  • सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए यह व्रत करना चाहिए

संकष्टी चतुर्थी के दिन यदि मनुष्य पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से गणपति जी की पूजा करता है तो उसकी सभी मनचाही इच्छाएं पूरी होती है और माना जाता है कि उसके कोई कार्य नहीं रुकते। हर कार्य में उसे सफलता की प्राप्ति होती है। गणपति जी की पूजा सुख-समृद्धि के साथ ज्ञान और धन प्रदान करने वाली होती । इसलिए इस व्रत को करने से मनुष्य को समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में किसी भी चीज का अभाव नहीं रहता। तो आइए आपको बताएं कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर गणपति जी की करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

गणाध‍िप संकष्‍टी चतुर्थी पर आज चांद न‍िकलने का समय (Ganadhip Sankashti Chaturthi 2020 moonrise time) 

चतुर्थी त‍िथ‍ि आज शाम 7:36 से शुरू होगी और 4 द‍िसंबर को रात 8:03 तक रहेगी। वहीं आज यानी 3 द‍िसंबर को संकष्‍टी पूजन चांद न‍िकलने के साथ होगी। आज रात चांद 8:10 बजे न‍िकलेगा।

गणपति जी की पूजा में रखें इन बातों का ध्यान (Ganadhip Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

  1. भगवान गणपति की संकष्टी के दिन तीनों प्ररह पूजा करनी चाहिए। सुबह, दोपहर और शाम की पूजा इस दिन जरूरी होती है। साथ ही में रात के समय चंद्र पूजन भी करें।
  2. भगवान गणपति को आसन देकर विराजित करें और वस्त्र और पुष्प के साथ उनका श्रृंगार करें। उसके बाद उनके सिर पर दूर्वा दल रखें।
  3. जनेऊ न पहनने वाले केवल पुराण मंत्रों से गणपति जी की पूजा कर सकते हैं, जबकि जनेऊ पहनने वाले वेद और पुराण दोनों मंत्रों से पूजा कर सकते हैं।
  4. गणपति जी को तुलसी दल छोड़कर सभी तरह के फूल और वनस्पति अर्पित किए जा सकते हैं।सिंदूर, घी का दीप और मोदक भी पूजा में अर्पित जरूर करें।
  5. इसके बाद आरती करें और संकष्टी व्रत कथा का वाचन करें।
  6. अंत में प्रसाद वितरित कर गाय को हरा चारा और गरीबों को हरी मूंग की दाल दान में दें। इसके बाद गणेश स्तुति का पाठ करें।

श्री गणेश स्तुति (Sri Ganesh Stuti Lyrics in hindi)

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि।

गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि।

गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि।

एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि।

गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि॥

गानचतुराय गानप्राणाय गानान्तरात्मने।

गानोत्सुकाय गानमत्ताय गानोत्सुकमनसे।

गुरुपूजिताय गुरुदेवताय गुरुकुलस्थायिने।

गुरुविक्रमाय गुह्यप्रवराय गुरवे गुणगुरवे।

गुरुदैत्यगलच्छेत्रे गुरुधर्मसदाराध्याय॥

गणपति जी की पूजा से मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और सुख-समृद्धि, यश-कीर्ति, वैभव, सफलता और पराक्रम की प्राप्ति होती है।

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