सुबह से ही करवा चौथ का व्रत प्रारंभ हो चुका है, लेकिन पूजा की अंतिम तैयारियां अब भी चल रही हैं। करवा चौथ की पूजा शाम के समय होती है और इस समय यदि विधिवत तरीके से व्रत पूजन कर लिया जाए तो भगवान शिव, देवी पार्वती और चंद्रदेव का विशेष अशीर्वाद सुहागिनों को प्राप्त होता है। यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है और हर महिला चाहती है कि उसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिले।
कोरोना काल में सभी अपने-अपने घरों में इस बार पूजा करेंगे, इसलिए व्रत पूजन में कोई चूक न हो इसके लिए यहां आपको पूजा की संपूर्ण विधि बताई जा रही है। तो आइए जानते हैं करवा चौथ की संपूर्ण विधि।
करवा चौथ के दिन शाम के समय मुख्य पूजा होती है और इसके लिए आप सर्वप्रथम कोई एक स्थान का चयन कर लें और वहां साफ-सफाई कर चौक पूरन कर लें।
इसके बाद पूजा स्थल में कलश की स्थापना करने से पहले उसे चावल के आटे और गेरू आदि से सजा दें।
इसके बाद दीवार पर करवा का चित्र बना ले और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर मिट्टी से भगवान शिव-देवी पार्वती, गणपति जी और कार्तिकेय की प्रतिमा बना कर स्थापित कर दें।
अब पूजा स्थल पर एक और करवा सजा कर रख दें, जिसमें जल भर दें। ये करवा ही चंद्रदेव को जल देने के लिए प्रयोग होगा। साथ ही दीपक भी तैयार कर रख दें।
इसके बाद बाद सुहाग की दो थाल जो आपने पहले से तैयार की है वह भी पूजा स्थल पर रख दें। एक थाल सास की जो है वह थाल में ही रहने दें और अपनी थाल की सुहाग की सारी सामग्री देवी पार्वती को अर्पित कर दें।
इसके बाद यहां दीप जला कर सभी भगवान की पूजा करें और देवी को सिंदूर लगाकर बचा सिंदूर अपनी मांग में भी भर लें।
इसके बाद वहीं बैठकर करवा चौथ की कथा पढ़ें या किसी घर के सदस्य से ही सुन लें।
इसके बाद अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए भगवान से प्रार्थना करें।
में चंद्रोदय के बाद छलनी से चंद्र दर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य दें और धूप व दीप दिखाएं।
चांद को देखने के बाद उसी छलनी से पति को देखें और फिर उनके हाथों से जल पी कर व्रत को खोलें। इसके बाद पति का आशीर्वाद लेकर अपना करवा चौथ का व्रत संपन्न करें।
पति का आशीर्वाद लेकर घर के अन्य बुजुर्गों के पैर छूकर उनका भी आशीर्वाद अवश्य लें। सास को सुहाग की थाली भेंट कर दें और उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लें।
करवाचौथ का शुभ समय
करवा चौथ का प्रारंभ 4 नवंबर की शाम 3 बजकर 24 मिनट पर होगा और यह 5 नवंबर की सुबह 5 बजकर 14 मिनट को समाप्त हो होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, करवा चौथ व्रत का समय 4 नवंबर की सुबह 6 बजकर 35 मिनट से रात 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। यानी कुल 13 घंटे 37 मिनट का व्रत रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर 2020 की शाम 5 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक है। हालांकि अधिकांश स्थानों पर चंद्रमा उदय होने के बाद उनकी पूजा की जाती है और इसके बाद अन्न ग्रहण किया जाता है।
तो करवाचौथ की पूजा इस तरह से करने से आपको सौभाग्य का आशीर्वाद मिलेगा और आपकी सारी ही कामनाएं पूर्ण होंगी।
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