दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या बगलामुखी की है। मां शत्रुओं का नाश करने वाली मानी गई हैं। मां की पूजा तांत्रिक भी खूब करते हैं, क्योंकि वो तंत्र की भी देवी हैं। युद्ध में विजय दिलाने और वाक् शक्ति प्रदान करने वाली देवी माता बगलामुखी की साधना युद्ध में विजय पाने और शत्रुओं के नाश के लिए की जाती है। कहा जाता है कि नलखेड़ा में कृष्ण और अर्जुन ने महाभारत के युद्ध के पूर्व माता बगलामुखी की पूजा अर्चना की थी। देवी बगलामुखी की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है।
शत्रु नाश के लिए ऐसे करें मां बगलामुखी की पूजा
यदि आप किसी बाधा में फंसे हैं तो देवी के आगे पीली हल्दी के ढेर एकत्र करें और उस पर दीप-दान करें। साथ ही पीला वस्त्र चढ़ाएं। इससे बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट हो जाती है।
मां की उपासना का समय रात्रि को होता है। रात में देवी की अराधाना करने से पहले अपने मन में अपने कष्ट से मुक्ति के लिए प्राथर्ना जरूर करें। किसी भी कार्य कि विशेष सिद्धी के लिए देवी की पूजा शाम को ही करें।
मां बगलामुखी पीताम्बरा भी है। इसलिए उनकी पूजा में हमेशा पीली चीजों का इस्तेमाल करें। पीले फूल, फल और प्रसाद चढ़ाएं। नारियल चढ़ाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं।
हल्दी या पीले कांच की माला से आठ माला 'ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:' का जाप करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 'ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा।'
बगलामुखी की साधना में पवित्रता, नियम और शौचादि का ध्यान रखना चाहिए।
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