कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत होता है। प्रदोष व्रत संतान, सुख-समृद्धि और पाप से मुक्ति के लिए किया जाता है। प्रदोष व्रत पूजा यदि नियम और विधि के अनुसार न की जाए तो व्रत का पुण्य नहीं मिलता। इसलिए प्रदोष व्रत करने से पहले इसके नियमों और विधि का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत करने के लिए दो विधियों का उल्लेख है।
एक में 24 घंटे बिना खाएं व्रत करना होता है और दूसरे में फलहार करने की छूट है लेकिन सूर्यास्त के बाद। भक्त अपनी श्रद्धानुसार व्रत कर सकते हैं, लेकिन एक ही नियम हर व्रत में रखना होगा। शाम को भगवान शिव की पूजा के बाद उपवास तोड़ा जाता है। 'प्रदोष' शब्द का अर्थ है 'शाम इसलिए ये पूजा शाम के समय करनी चाहिए।
प्रदोष व्रत के नियम
प्रदोष व्रत की विधि
व्रत रखने वाले व्यक्ति को व्रत के दिन सूरज उदय होने से पहले उठना चाहिये। फिर नित्य कार्य कर के मन में भगवान शिव का नाम जपते रहना चाहिये। सुबह नहाने के बाद साफ और सफेद रंग के कपड़े पहनें। अपने घर के मंदिर को साफ पानी या गंगा जल से शुद्ध करें और फिर उसमें गाय के गोबर से लीप कर मंडप तैयार करें। इस मंडप के नीचे 5 अलग अलग रंगों का प्रयोग कर के रंगोली बनाएं। फिर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और शिव जी की पूजा करें। पूजा में 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करें और जल चढ़ाएं।
अगले दिन व्रत का पारण शिव जी की पूजा के बाद ही करें। सात्विक भोजन करना श्रेयस्कर होगा।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल